जीएल बजाज में हुआ आनलाइन फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम
मथुरा। सिर्फ छात्र-छात्राओं ही नहीं शिक्षकों के कौशल और ज्ञान में भी लगातार इजाफा होना जरूरी है। प्रभावी शिक्षक वही बन सकता है जिसमें हमेशा कुछ नया करने और सीखने की ललक हो। यह बातें जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में आनलाइन फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम में आईआईटी रुड़की के प्रोफेसर (डॉ.) बृजेश कौशिक ने प्राध्यापकों को बताईं।
जीएल बजाज के रिसर्च एण्ड इनोवेशन सेल के कोआर्डिनेटर डॉ. कान्ता प्रसाद शर्मा के प्रयासों से आयोजित आनलाइन संकाय विकास कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. कौशिक ने कहा कि संकाय विकास शिक्षकों को आत्म-मूल्यांकन, उनकी क्षमताओं में सुधार और नए कौशल सीखने के अवसर प्रदान करता है। उन्होंने जी.एल. बजाज के प्राध्यापकों को इनोवेटिव रिसर्च पेपर राइटिंग स्किल्स पर इम्पेक्ट फैक्टर, गुड इंडेक्स जर्नल, उद्धरण, एच इंडेक्स, एब्सट्रैक्ट, इनोवेटिव रिसर्च के बारे में भी विस्तार से समझाया। उन्होंने प्राध्यापकों को पेपर को आकर्षक तरीके से लिखने के कौशल भी बताए।
एमिटी विश्वविद्यालय, राजस्थान के प्रो. (डॉ.) जगदीश प्रसाद ने प्राध्यापकों को सांख्यिकीय विधियों और उपकरणों के साथ अनुसंधान पद्धति, विभिन्न प्रकार के विश्लेषण, एसपीएसएस, एनोवा, टी-टेस्ट, एफ टेस्ट, महत्वपूर्ण कारक के नमूने, विश्लेषण के तरीकों आदि की जानकारी दी। संस्थान की निदेशक डॉ. नीता अवस्थी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से ही किसी शैक्षिक संस्थान के पठन-पाठन के वातावरण को प्रभावी तथा उच्चस्तरीय बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक ही विद्यार्थी की असली ताकत होता है। यदि कोई शिक्षक किताबी ज्ञान से अधिक छात्र-छात्राओं को व्यावहारिक ज्ञान उपलब्ध करवाता है तो इससे उसके शिष्य किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने में पूरी तरह से समर्थ होते हैं।
आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि हमारा प्रय़ास हर शैक्षिक संस्थान में बेहतर से बेहतर शिक्षा का माहौल बनाना है। एक सुयोग्य शिक्षक ही युवा पीढ़ी का सही मार्गदर्शन कर सकता है। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती, वही शिक्षक बेहतर तालीम दे सकता है जोकि स्वयं पढ़कर कक्षा में पढ़ाने जाए।