Saturday, May 17, 2025
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बुरी खबर! कुछ महीनों बाद फिर से हो रहा है कोरोना, एंटीबॉडी हुईं बेअसर

नई दिल्ली। एक नई रिसर्च में सामने आया है कि एक इंसान जो कोरोना वायरस को मात दे चुका है कुछ ही महीनों बाद इसका फिर से शिकार हो सकता है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन के एक अध्ययन में पाया गया है कि शरीर में संक्रमित हो चुके व्यक्ति को संक्रमण से बचाने वाले एंटीबॉडी तेजी से घट रहे है। इस पर रिसर्च अभी चल ही रही है कि लोग आखिर एक बार ठीक हो जाने के बावजूद फिर से कोरोना संक्रमित कैसे हो रहे हैं। मंगलवार को ऐसे दो केस मथुरा में भी सामने आए हैं कि कोरोना संक्रमित रोगी ठीक होने के बाद फिर से कोरोन पॉजिटिव पाए गए हैं। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग भी हैरान है।

अब एक रिसर्च में दावा किया गया है कि फिर से संक्रमित होना संभव है। ब्रिटिश रिसर्चर्स ने दावा किया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके व्यक्ति को संक्रमण से बचाने वाले एंटीबॉडी तेजी से घट रहे है। जिसके कारण कोविड-19 संक्रमण से लंबे समय तक रोग प्रतिरोधक क्षमता बने रहने की उम्मीदें खत्म हो रही हैं। पहले ऐसा माना जा रहा था कि एक बार कोरोना से ठीक हो चुके लोगों को दोबारा इसका खतरा बेहद कम है। इम्पीरियल कॉलेज लंदन के एक अध्ययन के तहत इंग्लैंड में 3,65,000 से अधिक लोगों की जांच की गई। अध्ययन में पाया गया कि कोविड-19 के लिए जिम्मेदार कोरोना वायरस से रक्षा करने वाले एंटीबॉडी समय के साथ कम हो रहे हैं, जो संकेत देते हैं कि रोग प्रतिरोधक क्षमता केवल कुछ ही महीने बनी रह सकती है। अध्ययन करने वाले अनुसंधानकर्ताओं में शामिल रहे प्रोफेसर वेंडी बार्कले ने कहा कि हर बार सर्दी के मौसम में लोगों को संक्रमित करने वाला कोरोना वायरस छह से 12 महीने बाद लोगों को फिर से संक्रमित कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमें आशंका है कि कोविड-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस से संक्रमित होने पर भी शरीर इसी तरह प्रतिक्रिया देता है.इम्पीरियल कॉलेज लंदन में निदेशक पॉल इलियॉट ने कहा कि हमारे अध्ययन दर्शाते हैं कि समय के साथ उन लोगों की संख्या में कमी देखी गई है, जिनमें एंटीबॉडी हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि एंडीबॉडी कम होने के मामले युवाओं की अपेक्षा 75 साल और इससे अधिक आयु के लोगों में अधिक पाए गए हैं। वैज्ञानिकों ने हाल में ही कोरोना संक्रमण से ठीक हुए लोगों के शरीर से निकाले गए ब्लड प्लाज्मा की प्रभावी उम्र का पता लगाया है। कनाडा के क्यूबेक में एक रक्तदान केंद्र हेमा-क्यूबेक की रिसर्च टीम ने दावा किया है कि संक्रमण से ठीक हुए लोगों के खून से निकाले गए ब्लड प्लाज्मा की प्रभावी उम्र केवल 3 महीने ही है।

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