नई दिल्ली। सोना खरीदना भारतीयों की हमेशा से पसंद रहा है। भारतीयों को सालभर में कई ऐसे मौके आते हैं जब सोना खरीदा जाता है। कोरोना काल में सोने में निवेश काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसके चलते सोना और चांदी की कीमतों में भी जबरदस्त उछाल आया। इसके बावजूद सोना खरीदने में भारतीय किसी से पीछे नहीं है। लेकिन, सोना खरीदने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि सोने को बेचते वक्त कितना टैक्स चुकाना होगा। इस टैक्स का कैलकुलेशन कैसे होता है।
गोल्ड ज्वेलरी पर कितना टैक्स?
सोने की कीमतें बाजार में ज्वेलरी के वजन और कैरेट से हिसाब से अलग होती हैं। लेकिन, सोने की ज्वेलरी खरीदने पर इसकी कीमत और मेकिंग चार्ज पर 3 फीसदी का जीएसटी लगता है। ज्वेलरी की पेमेंट आप भी किसी भी मोड में करेंगे, 3 फीसदी आपको चुकाना होगा। डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने के बाद से लोगों ने कैश में सोना खरीदना कम किया है। डिजिटल माध्यम से भी सोना खरीदा जा सकता है। मतलब यह कि सोने की पेमेंट आप डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से कर सकते हैं।
बेचने पर लगता है टैक्स?
शायद ही लोग जानते हों कि सोना खरीदने के साथ ही सोना बेचने पर भी टैक्स लगता है. बेचते वक्त यह देखा जाता है कि ज्वेलरी आपके पास कितने वक्त से है। क्योंकि, उस अवधि के हिसाब से उस पर टैक्स लागू होगा. सोने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स चुकाना होगा।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन
सोने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स तब लगेगा जब खरीद की तारीख से 3 साल के अंदर आप ज्वेलरी बेचते हैं। एसटीसीजी के नियम के मुताबिक टैक्स चुकाना होगा। ज्वेलरी बेचने पर आपकी जितनी कमाई हुई है उस कमाई पर इनकम टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स कटेगा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन
तीन साल या उससे ज्यादा पुरानी ज्वेलरी बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के हिसाब से टैक्स भरना होगा। एलटीसीजी के मुताबिक, टैक्स की दर 20.80 फीसदी होगी। बजट में ही एलटीसीजी पर सेस 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी किया गया है। टैक्स की दर में सेस शामिल है। हालांकि, उससे पहले तक सोना बेचने पर 20.60 फीसदी एलटीसीजी लगता था।