Monday, May 5, 2025
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बिल्डर का प्रोजेक्ट अधूरा होने पर रेरा को हस्तक्षेप का अधिकार: हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रियल स्टेट रेग्युलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के हस्तक्षेप करने की अधिकारिता को चुनौती देने वाली एक याचिका खारिज कर दी है। यह याचिका गौतमबुद्ध नगर के पैरामाउंट प्रोप बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड ने की थी। हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्पष्ट कहा है कि रेरा को सुनवाई का क्षेत्राधिकार है। रेरा के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है। रेरा द्वारा प्रमोटर को 60 दिन में खरीदारों को कब्जा सौंपने का आदेश भी सही ठहराया है साथ ही खरीदारों को विलंब अवधि का ब्याज अदा करने के आदेश को भी सही माना है। हाईकोर्ट के जस्टिस एसपी केसरवानी और जस्टिस डॉ वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने ये आदेश दिया है।

2011 में आवंटन पत्र, कब्जा आज तक नहीं

दरअसल गौतमबुद्ध नगर की पैरामाउंट प्रोप बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने पैरामाउंट गोल्फ फॉरेस्टे नाम से प्रोजैक्ट की शुरुआत की थी। ग्राहकों को 10 अगस्त 2011 को फ्लैट आवंटन पत्र जारी कर दिया गया। लेकिन प्रोजेक्ट समय पर नहीं पूरा हो पाया। इसके बाद 50 से अधिक ग्राहकों ने रेरा में शिकायत दर्ज कराई थी।

रेरा ने दिया था ये आदेश

रेरा ने प्रमोटर को आदेश दिया कि 60 दिनों के अंदर खरीदारों को कब्जा सौंपे साथ ही विलंब अवधिक में खरीदारों को ब्याज भी अदा करे। इसी के खिलाफ कंपनी ने कोर्ट में अपील की थी। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि रेरा का सुनवाई का क्षेत्राधिकार है। रेरा के आदेश में कोई अवैधानिकता नहीं है। 60 दिन में खरीददारों को कब्जा सौंपने और विलम्ब अवधि का ब्याज अदा करने के आदेश भी सही है।

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