दुनिया में भारत को मंदिरों का देश के रुप में जाना जाता है। क्योंकि भारत की सड़क, जंगल, पहाड़, नदी और जहां तक के भारत की सीमा पर भी मंदिर हंै। प्रत्येक मंदिर की अपनी-अपनी आस्था की कहानी है। इन मंदिरों में कई मंदिरों को दुनिया के लोग ऐसे भी जानते हैं जो कि दुनिया के लोगों की मनोकामना यानि इच्छा पूरी करते हैं। इन मंदिरों की पूर्णता भी कितनी अशिष्ट है।
आज हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 80 किलोमीटर दूर कानपुर के बंगाली मोहाल इलाके में स्थित काली मंदिर की अनोखी परंपरा की। मंदिर का निर्माण 1949 में हुआ था और तब से यहां परंपरा का पालन किया जा रहा है। मंदिर में श्रद्धालु आमतौर पर लोहे से बने ताले चढ़ाते हैं। लेकिन नवरात्रि के दौरान, लोग सोने, चांदी और अन्य कीमती धातुओं से बने प्रसाद चढ़ाते हैं।
लगभग 500 भक्त प्रतिदिन मंदिर आते हैं और देवी दुर्गा की विशाल प्रतिमा के सामने ताले लगाते हैं। इन तालों को सीधे मूर्ति के सामने नहीं रखा जाता है, बल्कि उन्हें खंभे से जुड़ी रस्सियों से बांधा जाता है।
ऐसी मान्यता है कि मंदिर के पुजारी तारा चंद ने मंदिर बनाने से पहले, भक्तों की देवी की हत्या करने के लिए झूठी देवी को जंजीरों और जोड़ों में बांध दिया था। इसके अलावा कहा जाता है कि बहुत समय पहले एक महिला बहुत दुखी थी। वह रोज सुबह अपनी मां के मंदिर जाते थे।
एक दिन वह मंदिर के आंगन में ताला लगाने लगा,तो पंडित ने इसका कारण पूछा। महिला ने कहा कि मां काली उनके सपने में आई थीं और कहा था कि अगर उन्होंने अपना नाम मंदिर के प्रांगण में बंद कर दिया, तो उनकी मन्नत पूरी हो जाएगी।