दुनिया बहुत बड़ी है। यहां पर कई तरह के जीव जंतुओं की प्रजातियां पाई जाती हैं। इस संसार में जलवायु और वहां की प्रकृति के अनुसार जीव जंतुआें की अलग-अलग प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन, पूरी दुनिया में इंसान की एक ही प्रजाति पाई जाती है। जिसका नाम होमो सैपिएंस है।
जीव-जंतुओं के विकास गाथा जुटाने और लिखने पढ़ने वाले इंसान की खुद के बारे में समझ बहुत कम है। आप भी ये जानकर चौंक जाएंगे कि हमें अपने पुरखों के बारे में बहुत कम जानकारी है।
इंसान के बारे में बताया जाता है कि इंसान करीब 20 लाख साल पहले धरती पर आया था। तब से लेकर अब तक इंसान में कई सारे बदलाव हो चुके है। लाखों साल पहले के इंसानों के कंकाल बहुत कम मिलते हैं। जहां भी मिलते हैं एक-आध टुकड़े, आधी-अधूरी जानकारी। इसके आधार पर कोई ठोस बात कहना वैज्ञानिकों के लिए भी मुश्किल होता है। मगर, 1984 में इंसानों के हाथ अपने पुरखों की जानकारी का एक बड़ा खजाना लगा था। इससे हमें अपने विकास की कहानी को समझने में बहुत मदद मिली।
बताया जा रहा है कि ये खजाना मिला था अफ्रीकी देश केन्या की तुर्काना झील सेङ्घयहां आठ साल के एक बच्चे का करीब पंद्रह लाख साल पुराना कंकाल मिला था। ये झील, ज्वालामुखी की गतिविधियों वाले इलाके में पड़ती है। धरती के भीतर की हलचल से, ऊपरी सतह बनती बिगड़ती रहती है।
इस वजह से आदि मानवों के कंकाल, भीतरी परतों में छुपकर बचे रह गए। अगर वहां कंकाल सुरक्षित नहीं रहते, तो इंसानों को अपनी विकास गाथा समझने में अभी और वक्त लगना था। यही इस झील की सबसे बड़ी अहमियत है।