मथुरा। देश की रक्षा में अपनी जान न्यौछावर करने वाले शहीद चंदन सिंह की प्रतिमा उनके शहीद होने के 21 साल बाद उनके पैतृक गांव दबदुआ में उनकी पत्नी ने तीन बेटियों की मदद से लगाई। प्र्रतिमा का अनावरण के मौके उनकी यूनिट के सूबेदार, हवलदार और साथी सेनिक मौजूद रहे। लेकिन प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन ने इस अमरशहीद को भुला दिया गया। शहीद परिवार से किए गए शहीद स्मारक और प्रतिमा लगवाने के वादे हवाई साबित हुए। देश का यह अमर सपूत चंदन सिंह 25 दिसंबर 2001 को शहीद हुआ था। यह जाट रेजीमेंट की यूनिट 12 के सच्चे सेनिक थे।

रविवार को बल्देव के समीप दबदुआ गांव में शहीद होने के 21 साल बाद नायक चंदन सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया गया। अपने पति के शहीद होने के बाद लंबे समय तक शासन और प्रशासन की द्वारा उनके नाम से स्मारक और प्रतिमा लगाने का इंतजार किया गया। लेकिन किसी तरह की मदद न मिलने पर शहीद होने के 20 साल बाद शहीद की पत्नी सविता देवी ने गांव के ही शहीद बबलू सिंह के परिवार की मदद से अपनी ही जमीन में पति के नाम से स्मारक बनवाया और वहां अपने पति शहीद चंदन सिंह की प्रतिमा स्थापित की। शहीद की पत्नी और उनकी तीन बेटियों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। इस दौरान शहीद चंदन सिंह की यूनिट के जवान के साथ उस समय जवान चंदन सिंह के साथ के जवान जो कि अब रिटायर हो गए वह भी बड़ी संख्या में शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे।
प्रतिमा अनावरण समारोह में सेना मेडल से सम्मानित शहीद बबलू सिंह के छोटा भाई सतीश सिंह, कैप्टन नेत्रपाल, कैप्टन उधम सिंह, हवलदार बच्चू सिंह एवं शहीद चंदन सिंह की यूनिट के सूबेदार, हवलदार और अन्य साथी मौजूद रहे।