Wednesday, May 14, 2025
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बृज में गोचारण भूमि को तरस रहा गोवंश, विदेशी महिला गो भक्त ने योगी सरकार से लगाई गुहार

कमल यदुवंशी
गोवर्धन।
पद्मश्री से सम्मानित विदेशी महिला सुदेवी दासी ने प्रदेश की योगी सरकार से गोचारण के लिए भूमि की मांग की है। उन्होंने प्रदेश सरकार को बताया कि उनकी गोशाला में 2400 गोवंश है। इनमें 150 नेत्रहीन और 20 बीमार हैं। जो कि साामूहिक रुप से रह रही है। गोवंश को घूमना तो दूर बैठने को भी पर्याप्त जमीन नहंी मिल पा रही है। इस कारण गोवंश परेशानी से जूझ रही हैं। मूल रुप से जर्मन की रहने वाली सुदेवी ने सीएम योगी से मांग की है कि कान्हा की गाय सहायता चाहती है। इनके गोचारण भूमि दी जाए।

गोभक्त सुदेवी दासी ने बताय कि वह पिछले 40 साल से राधाकुंड में बीमार, बेसहारा, अनाथ गोवंश की सेवा में लगी हैं। सुरभि गोशाला में इस समय लगभग 2400 गोवंश है। इसमें आसपास के गांवों से 15-20 घायल, बीमार गोवंश गोशाला पहुंच रहा है। गोशाला का क्षेत्रफल कम होने से इतने गोवंश के लिए जगह कम है। जगह कम होने से गोशाला, गोवंश से ठसाठस भरी हैं।

पद्मश्री सुदेवी दासी का कहना है कि गायों की प्रतिदिन बढ़ती संख्या के कारण गोशाला में जगह कम पड़ रही है। जनप्रतिनिधि व गोभक्त सुरभि गोशाला राधाकुंड आकर जगह देने के बारे में सुझाव तो देते है, लेकिन अभी तक किसी ने जगह उपलब्ध नहीं कराई है। उन्होंने बताया गांव कुंजेरा में 30 बीघा गोचारण की भूमि बेकार पड़ी है। अगर राज्य सरकार द्वारा राधा सुरभि गोशाला के लिए इस भूमि को दे दिया जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है।

सुरभि गोशाला में 24 घंटे हरिनाम संकीर्तन सुनाई देता है। गोशाला में बीमार गोवंश के लिए हर समय हरे कृष्णा, हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम, हरे राम, राम राम हरे हरे नाम का संकीर्तन गूंजता रहता है। वहीं, गोशाला में स्वस्थ गायों का दूध बछिया और बछड़ों को ही पिलाया जाता है। गोभक्त सुदेवी दासी की इस सेवा को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस बार उन्हें स्पेशल वीजा दिया है। इस वीजा की अवधि स्वत: ही आगे बढ़ती रहेगी और उन्हें अब परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

गोशाला में वर्तमान में 150 नेत्रहीन गोवंश की सेवा हो रही है। ऐसे गोवंश के लिए अलग स्थान है। सुदेवी दासी का कहना है कि नेत्रहीन गायों को अन्य गायों के साथ रखने पर इन्हें परेशानी होती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोचारण भूमि दें तो नेत्रहीन गायों के रहने की अलग व्यवस्था की जा सकती है।

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