मथुरा । संस्कृति विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ एजुकेशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय सेमिनार ” इंडियन नॉलेज सिस्टम’’ विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन ऑनलाइन किया गया। यह आयोजन डीo एसo कॉलेज अलीगढ़ के साथ संयुक्त रूप से किया गया। सेमिनार में वक्ताओं ने भारतीय ज्ञान की परंपराओं और अपने इस ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ तालमेल बिठाए जाने पर जोर दिया। वक्ताओं ने कहा कि भारतीय ज्ञान के साथ आधुनिक विज्ञान का तालमेल विश्व को आगे ले जाने में बहुत मददगार और उपयोगी सिद्ध होगा।
सेमिनार का शुभारंभ संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने किया। उन्होंने सेमिनार की सफलता की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए और विश्व को यह बताने के लिए कि हमारे ऋषियों ने कितनी कड़ी मेहनत और वर्षों के अनुसंधान के बात अनेक जटिल समस्याओं का समाधान वर्षों पहले कर लिया था, ऐसी सेमिनार बहुत उपयोगी हो जाती हैं। सेमिनार के मुख्य अतिथि एनसीआरटी नई दिल्ली के प्रोफेसर विजय पाल सिंह ने भारतीय ज्ञान के गौरव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व को यह बताना जरूरी है कि हम बहुत सारे ज्ञान के क्षेत्रों में कितने आगे हैं। सीईओ डॉo मीनाक्षी शर्मा ने भारतीय ज्ञान परम्परा के महत्व को रेखांकित किया। कुलपति प्रोo एमo बीo चेट्टी ने भारतीय ज्ञान की आधारशिला के महत्व को बताया और आधुनिक ज्ञान से जोड़ कर शिक्षा में महत्वपूर्ण परिवर्तन को बताया। स्कूल ऑफ एजुकेशन की डीन डॉo रेनू गुप्ता ने बताया कि शिक्षा की आधारशिला ही भारतीय ज्ञान परम्परा है, जब पूरे विश्व में अंधकार था तब भारत में ज्ञान का दीपक जल रहा था, भारतीय ज्ञान एवं दर्शन से विश्व प्रभावित हुआ हैं।
सेमिनार में उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि आवश्यकता भारतीय ज्ञान को विश्वस्तर पर आधुनिक कहे जाने वाले ज्ञान के साथ जोड़कर भविष्य की संभावित समस्याओं के हल करने की है। हमारे देश ने जिस तरह से वसुधैव कुटुम्बकम के द्वारा सारे विश्व को जोड़ने का संदेश दिया उसी तरह से भारतीय ज्ञान का लाभ भी सारा विश्व उठा सकता है। सेमिनार में डॉo विन्नारास निथ्यनंथम मलावै अफ्रीका, प्रोo एन के दास, डॉo मुकेश कुमार भारद्वाज ने भी भाग लिया।
संस्कृति विवि की अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में बताया भारतीय ज्ञान का महत्व
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