गोवर्धन में रहना है तो हलाहल तो पीना पड़ेगा
गोवर्धन।गिरिराज तलहटी में रहना भक्ति भाव से चाहे किसी को वैकुंठ की प्राप्ति करा दे लेकिन अन्य विषयों की सोचें तो गोवर्धन में रहना नर्क के समान है। गोवर्धन वासियों के लिए जाम मुक्त रास्ते, बिजली, पानी आदि मूलभूत सुविधाएं भी पूर्ण रूप में उपलब्ध नहीं हैं, गर्मी का मौसम तो आफत का पिटारा गोवर्धन वासियों के लिए खोल देता है। गर्मी में जहां तापमान अपने चरम पर होता है उसी वक्त पानी की समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है, बारिश आए तो मुख्य मार्गों पर जलभराव, गंदगी इत्यादि यहां के लोगों के जीवन का जहर बन जाती है, और बिजली आपूर्ति की समस्या तो जी यहां सोने पर सुहागा है।
वर्षों से गर्मी का मौसम आते यहां लाइन बदलने के नाम पर सारा दिन बिजली गुल रहती है, न जाने गुरु पूर्णिमा में ऐसा कौनसा बोझ पड़ता है जिसे बिजली विभाग के तार 1 वर्ष भी सहन नहीं कर सकते। बड़े बड़े महानगरों में ऑफिस, कारखाने चलते रहते हैं कोई भी परेशानी आने पर इतने दिन विद्युत आपूर्ति ठप नहीं होती लेकिन गोवर्धन एक अजूबा है, हाल ऐसे होते हैं कि जून के महीने में हिटलर की सेना भी गोवर्धन आने से मना कर देती, जैसे गोवर्धन के लोग अपने रिश्तेदारों को गोवर्धन आने से मना कर देते हैं। ऐसा न हो के बच्चे जून में गोवर्धन में अपनी नानी दादी के घर ही आना न बंद कर दें। सारा दिन स्कूलों में बच्चे गर्मी में पढ़ते हैं, रात्रि को अगर लाइट में फॉल्ट हो जाए तो लाइनमैन को बुलाना लोहे के चने चबाने जैसा लगता है ऊपर से चढ़ावा अलग। बिजली चोरी करने वाले प्रशासन की नाक के नीचे सारा खेल कर रहे हैं और समय से बिल देने वाले उपभोक्ता को एक शिकायत करने के समय बिल न जमा करने का उलहाना देकर लौटा दिया जाता है। अब प्रशासन से उम्मीद न करके गोवर्धन महाराज की शरण में ही गोवर्धन वासी कुछ राहत महसूस कर सकते हैं।
रिपोर्टर,राजेश लवानिया