Friday, May 16, 2025
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चीन को गुरु बनाओ और आतंकवाद से मुक्ति पाओ

मथुरा। आतंकवादियों द्वारा कश्मीर में किए गए नरसंहार से पूरा देश आक्रोशित हो उठा था। भले ही मोदी जी ने जख्म पर मरहम लगाने का काम तो कर दिया किंतु यह पर्याप्त नहीं। अब तो एक ही विकल्प शेष रह गया है, वह यह कि चीन को अपना गुरु मानकर ऐसा कुछ किया जाए जिससे आतंकवाद का नामो निशान ही मिट जाय।
 भले ही मेरी बात किसी के गले उतरे या न उतरे किंतु जो मैं कह रहा हूं वह अकाट्य सत्य है। यदि हम चीन से प्रेरणा लेकर उसका अनुसरण करें तो आतंकवाद तो पूरे देश से ऐसा गायब हो जाएगा जैसे गधे के सिर से सींग। अब गौर करो मेरी बात पर। चीन में देशद्रोहियों को गोली से उड़ा दिया जाता है और हमारे देश में देशद्रोही गद्दारों को सर आंखों पर बैठाया जाता है। चीन में आरक्षण वारक्षण ऐसा कुछ भी नहीं है, कि अयोग्यों को प्रोत्साहित करके योग्यों को हतोत्साहित किया जाय। चीन में वोट तंत्र जैसी कोई बीमारी नहीं है यही कारण है कि आज चीन पूरी विश्व बिरादरी पर भारी पड़ रहा है। 
 हम लोग बड़े इतरा इतरा कर कहते हैं कि हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, किंतु हमारे देश में लोकतंत्र का स्वरूप ऐसा है कि इसकी आड़ में वे लोग संसद और विधान सभाओं में पहुंच जाते हैं जिन्हें जेल में होना चाहिए। अनेक सांसद, विधायक और मंत्री तक ऐसे भी है जिन्हें फांसी या आजीवन कारावास तक की सजा होनी चाहिए। ऐसे अपराधियों को पुलिस बजाय गिरफ्तार कर जेल में डालने के उल्टे सेल्यूट और मरती है। यह है हमारे लोकतंत्र का असली चेहरा जिस पर हम इतरा इतराकर मरे जाते हैं। धिक्कार है ऐसे लोकतंत्र को। ज्यादा कुछ बताने की जरूरत नहीं सभी जानते हैं कि लोकतंत्र यानी वोट तंत्र की आड़ में क्या-क्या होता है और क्या-क्या नहीं होता।
 सचमुच में देखा जाए तो लोकतंत्र के नाम पर अलोकतंत्र का साम्राज्य छाया हुआ है। पता नहीं यह अलोकतंत्र हमारे देश को कहां ले जाकर पटकेगा? ऐसा न हो कि मुगलों व अंग्रेजों की सैकड़ो साल वाली गुलामी हमें दोबारा से न जकड़ ले। हे भगवान हमारे देश में उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग जैसा कोई शासक ही भेज दो, जो गद्दार और हराम खाऊओं की अक्ल ठिकाने लगा दे।
 किसी ने सही कहा है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। जब तक ऐसा कोई दमदार डिटेक्टर हमारे देश में पैदा नहीं होगा तब तक देश गर्त में जाता रहेगा और देशद्रोही, हत्यारे, लुटेरे, बेईमान तथा दुराचारियों की पौ बारह होती रहेगी और देशभक्त व सदाचारी घुट घुट कर मरते रहेंगे। अब मुझे याद आ रही है आपातकाल की। भले ही इंदिरा गांधी ने आपातकाल अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए लगाया था किंतु यह काल देश के लिए स्वर्णिम काल था। लोगों में गलत काम करने की लत खत्म हो गई। भ्रष्टाचार का नामो निशान नहीं था। रेलें समय से चलने और पहुंचने लगीं। ज्यादातर तो बिफोर टाइम प्लेटफार्म पर आ जातीं। पुलिस वाले थाने कोतवालियों में सेवक की भूमिका में रहते। चोरी, चकारी, हत्या, लूट डकैती, दुराचार आदि अपराध तो ऐसे गायब हो गए जैसे गधे के सिर से सींग।
 दूसरा पहलू यह भी है कि विरोधी दलों के लोग जेल में ठूंस दिए गए उनके साथ ज्यादती तो हुई किंतु यह भी देखना होगा कि यदि ये लोग बाहर रहते तो क्या हुड़दंग बाजी नहीं करते? क्या इस सब सुधार को होने देते? इन सब बातों की ओर किसी का ध्यान नहीं बस इमरजेंसी शब्द आते ही लोग ऐसे विदकते हैं जैसे सांड को लाल कपड़ा दिखा दिया जाता है। और तो और कांग्रेसी भी इमरजेंसी की खुलकर तारीफ नहीं करते। नई पीढ़ी के सामने इमरजेंसी का ऐसा विकृत स्वरूप कर दिया है जैसे मुगलों व अंग्रेजों से भी ज्यादा अन्याय और अत्याचार इस देश की जनता पर किए गए हों। चलो हम मान लेते हैं कि इमरजेंसी में खूब अन्याय, अत्याचार और जुल्म हुए पर अब राम राज हो गया क्या? इमरजेंसी के हटने के बाद से हर प्रकार के अपराधों का बोल वाला दिन दूना और रात चौगना बढ़ता गया। देशद्रोही गद्दार लोग मौज मस्ती कर रहे हैं जितने भी घृणित से घृणित अपराध होते हैं, वे चरम पर हैं।
 देश का दुर्भाग्य था जो संजय गांधी जैसे डिटेक्टर के हाथ से देश की बागडोर चली गई। यदि आज संजय गांधी जिंदा होते और इमरजेंसी होती तो देश चीन से भी अधिक ताकतवर हो जाता तो आश्चर्य नहीं। यह भी ध्रुव सत्य है कि संजय गांधी से बड़ा हिंदूवादी कोई नहीं, भले ही गाल बजाऊ बनते रहो। 
 पूरा देश इस समय नरेंद्र मोदी की ओर टकटकी लगाए बैठा है। मोदी जी में कुछ कर दिखाने की कुब्बत है। पहले भी उन्होंने अजब गजब के कई कारनामे किए हैं। अतीत में किए गए उनके करिश्मो से उम्मीद तो बहुत है किंतु यह अलोक तंत्री व्यवस्था उनकी सफलता में बाधक जरूर बनेगी। देखते हैं मोदी जी इससे कैसे निपटते हैं?
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