

मथुरा। आर्टिक्यूलेटर प्रोस्थोडोन्टिक्स में एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो जबड़े की हरकतों की नकल करता है तथा दांतों के बीच के संबंध को दर्शाता है। यह सही ढंग से कृत्रिम पुनर्स्थापन बनाने में मदद करता है जो दांतों और जबड़े के साथ ठीक से मेल खाता हो। आर्टिक्यूलेटर की सटीकता और विभिन्न प्रकार के आर्टिक्यूलेटर की उपलब्धता यह सुनिश्चित करते हैं कि दंत चिकित्सक सही ढंग से कृत्रिम पुनर्स्थापन बना सकें जो रोगियों के लिए कार्यक्षमता और सौंदर्य दोनों प्रदान करें। यह बातें केडी डेंटल कॉलेज में “सिम्फनी ऑफ ऑक्लूजन: अनलॉकिंग द सीक्रेट्स ऑफ द आर्टिक्यूलेटर इन प्रोस्थोडोन्टिक्स” विषय पर आयोजित सतत दंत शिक्षा (सीडीई) कार्यक्रम में एसजीटी विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित वक्ता तथा दंत विज्ञान संकाय के डीन डॉ. ओमकार के. शेट्टी और दंत विज्ञान संकाय के रीडर डॉ. पंकज रितवाल ने भावी दंत चिकित्सकों को बताईं।
के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी ने सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऑक्लूजन की समझ को गहरा करना तथा प्रोस्थोडॉन्टिक अभ्यास में आर्टिकुलेटर्स के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देना है। डॉ. शेट्टी और डॉ. रितवाल ने ऑक्लूजन और आर्टिकुलेटर-आधारित तकनीकों के मूलभूत और उन्नत पहलुओं पर आकर्षक और व्यावहारिक व्याख्यान दिए। डॉ. शेट्टी ने कहा कि आर्टिक्यूलेटर जबड़े की हरकतों की नकल करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। यह सुनिश्चित करते हैं कि कृत्रिम पुनर्स्थापन ठीक से फिट हों तथा सही से काम करें। उन्होंने बताया कि दंत चिकित्सा प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ आर्टिक्यूलेटर भी विकसित हुए हैं। डिजिटल आर्टिक्यूलेटर और 3डी प्रिंटिंग जैसे नए उपकरण दंत चिकित्सकों को अधिक सटीक और कुशल कृत्रिम पुनर्स्थापन बनाने में मदद करते हैं।
डॉ. रितवाल ने बताया कि दंत चिकित्सा में विभिन्न प्रकार के आर्टिक्यूलेटर उपलब्ध हैं, जैसे कि सरल हिंज आर्टिक्यूलेटर, अर्ध-समायोज्य आर्टिक्यूलेटर और पूरी तरह से समायोज्य आर्टिक्यूलेटर। उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रकार का आर्टिक्यूलेटर जबड़े की हरकतों की नकल करने के लिए अलग-अलग क्षमताएं और सटीकता प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आर्टिक्यूलेटर की सटीकता कृत्रिम पुनर्स्थापन की गुणवत्ता तथा सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। इतना ही नहीं आर्टिक्यूलेटर का उपयोग क्राउन, ब्रिज और डेंचर बनाने के साथ ही ऑर्थोडोंटिक उपचार की योजना बनाने में भी मददगार है।
सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण व्यावहारिक सत्र था, जिसमें प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग के सभी स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इस सत्र में रोगियों और आर्टिकुलेटर्स दोनों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया, जिससे उपस्थित लोगों को सैद्धांतिक ज्ञान को नैदानिक अनुप्रयोग के साथ एकीकृत करने का एक अनूठा अवसर मिला। इस शैक्षणिक पहल की सभी प्रतिभागियों ने सराहना की। सभी ने कहा कि सतत दंत शिक्षा से दंत चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर सीखने और सहयोग के महत्व पर बल मिला। आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा के.डी. मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम को उपयोगी बताते हुए कहा कि इससे भावी दंत चिकित्सकों को काफी मदद मिलेगी। सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम में डॉ. सिद्धार्थ सिसोदिया, डॉ. अभिनव, डॉ. नेहा श्रीवास्तव, डॉ, लारा जैन आदि की उपस्थिति सराहनीय रही।
चित्र कैप्शन। सतत दंत शिक्षा कार्यक्रम के बाद स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं के साथ डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी, दंत विज्ञान संकाय के डीन डॉ. ओमकार के. शेट्टी तथा दंत विज्ञान संकाय के रीडर डॉ. पंकज रितवाल। अन्य चित्र में वक्ता का स्वागत करते हुए डीन और प्राचार्य डॉ. मनेष लाहौरी।