

मथुरा। भावी दंत चिकित्सकों को डिजिटल कार्य वातावरण से अवगत कराने तथा व्यावहारिक कारीगरी में गहरी समझ पैदा करने के उद्देश्य से के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में तीन दिवसीय सीडीई का आयोजन किया गया। प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री प्रमुख डॉ. जी.डी. पॉल फाउंडेशन, वाईएमटी डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल, नवी मुंबई ने दंत चिकित्सकों को बताया कि आकर्षक संयोजन डेंटल टेक्नोलॉजी की विविध और बहुआयामी पेशेवर यात्रा की तलाश करने वाले युवाओं के लिए एक शानदार विकल्प है।
प्रोस्थोडॉन्टिक्स में परम्परा और नवाचार पर आयोजित तीन दिवसीय सीडीई के पहले दिन प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री ने प्रोस्थोडॉन्टिक्स के स्नातकोत्तर छात्र-छात्राओं को सीपीडी के माध्यम से पारम्परिक से लेकर डिजिटल लीप तक की जानकारी दी। उन्होंने भावी दंत चिकित्सकों को सीपीडी डिजाइनिंग पर प्रदर्शन और परीक्षा उन्मुख दृष्टिकोण के साथ रोगी कास्ट पर सीपीडी के सर्वेक्षण और डिजाइनिंग पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि डिजिटल कार्य वातावरण और व्यावहारिक कारीगरी का आकर्षक संयोजन डेंटल टेक्नोलॉजी को विविध और बहुआयामी बनाता है।
प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री ने छात्र-छात्राओं को बताया कि कई डेंटल प्रयोगशालाओं ने सदियों पुराने शिल्प कौशल को संरक्षित करने तथा डिजिटल क्षेत्र को अपनाने, परम्परा और व्यवधान के बीच सामंजस्य स्थापित करने तथा आवश्यक परिवर्तनों की आवश्यकता के साथ स्थापित मूल्यों को समेटने के बीच के नाजुक संतुलन को कुशलता से अपनाया है, जिसका लाभ दंत चिकित्सा क्षेत्र को मिल रहा है।
सीडीई के दूसरे दिन प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री ने केस चर्चा के साथ पारम्परिक से लेकर डिजिटल एल्गोरिदम तक इंप्रेशन और इम्प्लांट प्रोस्थोडॉन्टिक्स पर व्याख्यान दिया। उन्होंने 15-15 परास्नातकों को पांच समूहों में विभाजित कर केस परिदृश्य की एक उपचार योजना प्रस्तुत की। सीडीई के तीसरे दिन प्रोस्थो, एंडो और पेडो के स्नातक तथा परास्नातक छात्र-छात्रा प्रशिक्षुओं के लिए सिरेमिक पर एक व्याख्यान आयोजित किया गया था, जिसमें सौंदर्यपूर्ण पुनर्स्थापनात्मक सामग्री के उचित विकल्प के लिए सटीक निर्णय लेने के लिए विभिन्न परिदृश्यों पर प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर भावी दंत चिकित्सकों ने प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री से उपयोगी केस चर्चा भी की।
के.डी. डेंटल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल के डीन और प्राचार्य डॉ. मनेश लाहौरी ने प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री का स्वागत करते हुए कहा कि उन्होंने स्नातक तथा परास्नातक छात्र-छात्राओं को दंत चिकित्सा की जो आधुनिकतम उपचार की जानकारी दी, वह भविष्य में उनका मार्गदर्शन करेगी। डॉ. लाहौरी ने कहा कि दंत चिकित्सा क्षेत्र की यांत्रिक विशेषताएं थोक सामग्री के अंतर्निहित गुणों से जुड़ी हुई हैं, मौखिक ऊतकों के साथ उनकी अंतःक्रिया सतह की विशेषताओं पर बहुत अधिक निर्भर करती है। सीडीई में के.डी. डेंटल कॉलेज के संकाय सदस्यों डॉ. अनुज गौड़, डॉ. सिद्धार्थ सिसौदिया, डॉ. जूही, डॉ. मनीष भल्ला तथा डॉ. राजीव आदि ने भी अपने-अपने अनुभव साझा किए। सीडीई के समापन अवसर पर छात्र-छात्राओं को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।
चित्र कैप्शनः सीडीई के समापन अवसर पर प्रो. (डॉ.) सलोनी मिस्त्री के साथ स्नातक तथा परास्नातक छात्र-छात्राएं तथा संकाय सदस्य।