Tuesday, July 1, 2025
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राजीव इंटरनेशनल स्कूल में मॉडर्न एज्यूकेटर पर हुई कार्यशालाशिक्षक आज्ञा देने की बजाय छात्र-छात्राओं के बनें सलाहकारः बिन्दु सहदेव


मथुरा। शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण विधियों तथा तकनीक से अवगत कराने के लिए राजीव इंटरनेशनल स्कूल में मैकमिलन पब्लिशर्स द्वारा मॉडर्न एज्यूकेटर (आधुनिक शिक्षक) पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में एमिनेंट स्पीकर तथा रिनाउंड एज्यूकेशनिस्ट बिन्दु सहदेव ने टीचर्स को मॉडर्न एज्यूकेशनल, मल्टिपल इटेंलीजेंस, करिकुलम डिजाइनिंग एण्ड माइंड मैपिंग, कोर टीचिंग स्किल्स एण्ड क्लास-रूम मैनेजमेंट आदि की विस्तार से जानकारी दी।
शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए बिन्दु सहदेव ने कहा कि शिक्षण का तात्पर्य मनुष्य के ज्ञानात्मक, भावनात्मक एवं क्रियात्मक संस्कारों का समन्वय एवं विकास करना है तथा उसके व्यवहार में परिवर्तन और परिमार्जन लाना है। उन्होंने कहा कि ज्ञान से इच्छा का जागरण होता है तथा इच्छा मनुष्य को क्रियाशील बनाती है। उन्होंने कहा कि व्यवहार में परिवर्तन लाने को ही सीखना या अधिगम कहते हैं। सीखना और सिखाना ही सही मायने में शिक्षण संस्कार है।
बिन्दु सहदेव ने फंडामेंटल लेवल से स्टार्ट करते हुए किस तरह से विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की तरफ आगे बढ़ा जाए इसके बारे में शिक्षकों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से इंक्वायरी बेस्ट लर्निंग पर फोकस किया। इतना ही नहीं उन्होंने क्लास रूम को कैसे इफेक्टिव बनाया जाए, कैसे सिलेबस मैनेज किया जाए तथा लेशन प्लान को और प्रभावशाली कैसे बनाया जाए, इन सभी विषयों पर शिक्षकों को जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के अन्तर्मन में समस्त ज्ञान अवस्थित है। आवश्यकता उसे जागृत करने तथा उपयुक्त वातावरण निर्मित करने की है। उन्होंने कहा कि शिक्षक ऐसा मार्गदर्शक, सहायक और उससे बढ़कर अनुभवी मित्र होता है जिससे विद्यार्थी हर मुश्किल समय में मार्गदर्शन प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक की भूमिका आज्ञा देने वाले की अपेक्षा सलाहकार और प्रस्तोता जैसी होनी चाहिए। उसे छात्र-छात्राओं को यह बताना चाहिए कि वे विभिन्न विषयों का मनन किस प्रकार करें।
उन्होंने कहा कि शिक्षण का दूसरा सिद्धान्त यह है कि मन के विकास में स्वयं उसकी सलाह ली जाए। उन्होंने बताया कि हमें छात्र-छात्राओं को यह प्रेरणा देनी चाहिए कि वह अपनी प्रकृति के अनुसार अपना विकास करें। उन्होंने कहा कि शिक्षक छात्र-छात्रा को पढ़ा या सिखा नहीं सकता। पढ़ने या सीखने की प्रक्रिया तो छात्र-छात्राओं को स्वयं करनी होती है। शिक्षक उसकी सहायता तथा उपयुक्त अवसर एवं वातावरण का निर्माण कर सकता है।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत से पहले इस तरह की वर्कशॉप को उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य अन्तरात्मा की इस बात में सहायता करना कि वह अपने अन्तर्मन की अच्छी से अच्छी बात को बाहर लाए तथा उसे किसी उदात्त उपयोग के लिएं पूर्ण बनाए। राजीव इंटरनेशनल स्कूल के चेयरमैन मनोज अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि समय-समय पर ऐसी वर्कशॉप आयोजित करने से शिक्षा के क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों से सभी टीचर्स अवगत होते हैं, जिसका लाभ विद्यार्थियों को मिलता है। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका प्रिया मदान ने ट्रेनर बिन्दु सहदेव को स्मृति चिह्न भेंटकर उनका बहुमूल्य समय और ज्ञान देने के लिए आभार माना।
चित्र कैप्शनः शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण विधियों की जानकारी देते हुए ट्रेनर बिन्दु सहदेव।

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