
-जीएलए के प्रोफेसर, टेक्निकल मैनेजर और छात्र द्वारा तैयार सिंक्रोमेश कोन क्लच बॉक्स का पेटेंट ग्रांट
अभी तक गाड़ियों में क्लच बॉक्स और गियर कई कलपुर्जों से भरा हुआ है। जिसका मेंटेनेंस भी अधिक होता है और अक्सर गियर फंसने का भी डर वाहन चालक को बना रहता है। इसी समस्या के समाधान के लिए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर, टेक्निकल मैनेजर तथा छात्र ने आधुनिक कोन क्लच बॉक्स तैयार किया है। जिसका पेटेंट ग्रांट हो चुका है।
चार पहिया वाहन में उपयोग होने वाले ट्रांसमिशन सिस्टम जो कि गियर, हव स्लीव, सिंक्रोनाइजर रिंग, स्लेक्टर आदि कलपुर्जों से तैयार होकर काफी महंगा पड़ता था। इस प्रक्रिया को आसान बनाते हुए ‘सिंक्रोमेश क्लच बॉक्स‘ के अन्तर्गत प्रोफेसर एवं डीन रिसर्च डा. कमल शर्मा, टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित तथा छात्र उत्कर्ष गोयल ने कोन क्लच का आइडिया तैयार किया। इस आइडिया पर अविष्कार करते हुए जो पहले डिस्क क्लच का उपयोग होता था, उसकी जगह पर सिंक्रोमेश क्लच बॉक्स को बनाया गया और इस बॉक्स में अब कोन क्लच और गियर बॉक्स को एक साथ जोड़ दिया गया है।
टेक्निकल मैनेजर रितेश दीक्षित ने जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक गाड़ियों में क्लच और गियर बॉक्स अलग होते हैं। क्लच इंजन को ट्रांसमिशन (गियर बॉक्स) से जोड़ता है और अलग करता है, जबकि गियर बॉक्स अलग-अलग गियर अनुपात प्रदान करके वाहन की गति और टॉर्क को नियंत्रित करता है। इसी पर अनुसंधान करते हुए देखा गया कि गियर बॉक्स और क्लच बॉक्स में काफी कलपुर्जे हैं, जिसे बनने में भी लागत अधिक आती है तथा वाहन स्वामी को मेंटेनेंस भी अधिक देना पड़ता है।
गियर बॉक्स और क्लच बॉक्स में से हव स्लिव, सिंक्रोनाइजर रिंग, डॉक क्लच, रोलर बैरिंग आदि पुर्जों को निकालकर एक कोन क्लच तैयार किया गया, जो कि सीधे हब स्लीव के बिना सीधे गियर के साथ मैच करके गियर लगाने का कार्य करेगा।
डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि सिंक्रोमेश क्लच बॉक्स बनाकर गाड़ी के ट्रांसमिशन सिस्टम से बहुत चीजें हटाने से गियर के काफी महंगे पार्टस कम हो गए और मेंटेनेंस ना के बराबर हो जायेगा। साथ ही गियर फंसने का भी झंझट खत्म हो जायेगा। प्रो. शर्मा ने बताया कि ऐसी आधुनिक शिक्षा से जोड़ने के लिए मैकेनिकल विभाग अपने छात्रों को आगे रखता है और इसका प्रतिफल भी सामने है कि एक बेहतर अविष्कार कर पेटेंट ग्रांट हुआ है।
विभागाध्यक्ष प्रो. पीयूष सिंघल ने बताया कि इस पेटेंट ग्रांट में प्रोफेसर, टेक्निकल मैनेजर और छात्र की भूमिका रही है। छात्र लगातार अनुसंधान से जुड़ रहे और नए अविष्कार की खोज में प्रोफेसरों के साथ जुटे हुए हैं। आगामी समय में जीएलए के छात्र भारत के विकास में अपना अह्म योगदान देंगे। क्योंकि छात्रों ने प्रोफेसरों के साथ कार्य कर कई रिसर्च पब्लिश तथा पेटेंट पब्लिश और ग्रांट कराये हैं।