Tuesday, August 5, 2025
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चित्र परिचयः संस्कृति विवि में आयोजित कार्यशाला के मुख्य अतिथि, आईआईआईटी इलाहाबाद (प्रयागराज) के निदेशक डॉ. मुकुल एस. सुताओन दीप प्रज्ज्वलित करते हुए। साथ में हैं संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, कुलपति प्रो.एमबी चेट्टी, सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा।

संस्कृति विवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति2020 को लेकर हुई महत्वपूर्ण चर्चा

मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय अपने संतोष मैमोरियल आडिटोरियम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति(एनईपी) 2020 के अनुरूप पाठ्यक्रमों के निर्माण को लेकर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ताओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा करते हुए पाठ्यक्रम डिजाइनिंग और इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को विस्तार से बताया। इस कार्यक्रम में उच्च शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कार्यान्वयन, विशेष रूप से पाठ्यक्रम विकास के क्षेत्र में विचार-विमर्श करने के लिए प्रख्यात शिक्षाविदों और शिक्षाविदों को एक साथ लाया गया।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि, आईआईआईटी इलाहाबाद (प्रयागराज) के निदेशक डॉ. मुकुल एस. सुताओन ने एनईपी-के अनुसार पाठ्यक्रम डिजाइन के लिए व्यावहारिक रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने उच्च शिक्षा में लचीलेपन, विकल्प-आधारित क्रेडिट सिस्टम और व्यावसायिक एवं शोध-उन्मुख शिक्षा के एकीकरण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईआईआईटी, प्रयागराज में एनईपी 2020 के घटकों को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम डिजाइन कैसे किया जाता है। उन्होंने आईकेएस पर जोर दिया और बताया कि इसे आधुनिक विज्ञान में कैसे लागू किया जा सकता है। उन्होंने विश्वविद्यालयों से बहु-विषयक पाठ्यक्रमों की एक श्रृंखला तैयार करने का आग्रह किया, जिन्हें छात्र अपनी रुचि के आधार पर चुन सकें।
अपने अध्यक्षीय भाषण में संस्कृति विवि के कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता ने शैक्षणिक उत्कृष्टता और निरंतर सुधार के लिए विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अनेक गुणकारी परिवर्तन समावेशित किये गए हैं। संस्कृति विवि ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप अपने पाठ्यक्रमों में बदलाव किए हैं और लगातार इस दिशा में काम किया जा रहा है। विशिष्ठ अतिथि, आईआईआईटी इलाहाबाद (प्रयागराज) के डॉ. सतीश कुमार सिंह ने समावेशी एवं बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देने में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिवर्तनकारी दृष्टिकोण पर ज़ोर दिया। उन्होंने जमीनी स्तर पर इन बदलावों को आगे बढ़ाने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने विश्व में रोज़गार परिदृश्य के संदर्भ में एआई के भविष्य पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कई उदाहरण दिए कि कैसे प्रक्रिया में गलत एल्गोरिदम के कारण एआई त्रुटिपूर्ण हो सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत रूप से मां सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। विश्वविद्यालय कुलपति डॉ. एम.बी. चेट्टी द्वारा स्वागत भाषण और विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्रगतिशील शिक्षा सुधारों के प्रति विश्वविद्यालय के दृष्टिकोण, मिशन और योगदान का एक गहन अवलोकन प्रदान किया। कार्यशाला में संस्कृति विवि की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा भी विशेष रूप से उपस्थित रहीं।
कार्यशाला के दौरान संवाद सत्र में कार्यान्वयन चुनौतियों और अवसरों पर संवाद और विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की बात की गई। इस सत्र में एनईपी ढांचे के तहत नवीन शिक्षण पद्धतियों को अपनाने में संकाय की सक्रिय रुचि परिलक्षित हुई। कार्यक्रम का समापन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डॉ. पंकज कुमार गोस्वामी द्वारा दिए गए हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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