Tuesday, August 12, 2025
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चित्र परिचयः संस्कृति विवि के छठे दीक्षांत समारोह का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ करते संत और अन्य अतिथिगण।

चित्र परिचयः आकाश इंस्टीट्यूट के संस्थापक डा. जेसी चौधरी को मानद् उपाधि प्रदान करते कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता।
चित्र परिचयः बालीवुड के प्रख्यात अभिनेता आशुतोष राणा को मानद् उपाधि प्रदान करते कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता।

संस्कृति विवि दीक्षांत समारोह में 2045 विद्यार्थियों को मिली डिग्री
शिक्षाविद् डा. जेसी चौधरी और फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा मानद् उपाधि से सम्मानित
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय का छठवां दीक्षांत समारोह संतों की उपस्थिति में भव्य और दिव्य वातावरण में संपन्न हुआ। विद्यार्थियों के अथक परिश्रम के परिणामस्वरूप प्राप्त फल के रूप में उनको पदक और उपाधियां प्रदान की गईं। मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और राष्ट्रीयगान की परंपरा को पूर्ण करते हुए दीक्षांत समारोह का शुभारंभ हुआ। समारोह के दौरान संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता द्वारा आकाश इंस्टीट्यूट के संस्थापक, ख्यातिप्राप्त शिक्षक, न्यूमरोलॉजिस्ट डा. जेसी चौधरी और बालीवुड के प्रसिद्ध कलाकार, कवि, लेखक और वक्ता आशुतोष राणा को मानद उपाधि से विभूषित किया। समारोह में लगभग 2045 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं। इसके साथ ही 20 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री से विभूषित किया गया।
दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा ने अपने गुरुजनों को धन्यवाद देते हुए कहा कि तीन चीज़ों से एक इंसान को सदैव बच कर रहना चाहिए, आदि, व्याधि और उपाधि क्योंकि बाक़ी दोनों का इलाज हो सकता है पर उपाधि का घमंड अगर हो जाये तो उसका इलाज नहीं है। नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा के पूर्व छात्र और हिंदी, तेलुगू और तमिल फ़िल्म में अपने अभिनय का डंका बजा चुके आशुतोष राणा ने कहा कि वे विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता के आभारी हैं जिन्होंने उन्हें इस उपाधि से नवाज़ा और वे ख़ुद को ख़ुशक़िस्मत मानते हैं की उन्हें यह उपाधि संस्कृति विश्वविद्यालय से मिली है।
मानद् उपाधि से सम्मानित प्रख्यात शिक्षाविद्, अनेक पुस्तकों के लेखक डा.जेसी चौधरी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज आपको मिली यह डिग्री आपकी शिक्षा का अंत नहीं है, यह सच है कि अभी तक आपने जो समय व्यतीत किया वो आपके जीवन का सबसे गोल्डन पीरियड था, असली जिंदगी तो अब शुरुआत है, यह दीक्षा का अंत नहीं है। अभी तो ज़िंदगी शुरू हुई है। ज़िंदगी में जो मिल जाये उससे कभी भी संतुष्ट नहीं होना चाहिए और अपने लिए हमेशा बेहतर की तलाश करते रहना चाहिए। यदि परमात्मा आपको किसी मुसीबत में डाल रहे हैं तो वे चाहते हैं कि आप उससे जूझ कर कुछ सीखें और अपने भविष्य को उज्जवल बनायें। उन्होंने कहा कि मैं आज भी लगातार कुछ नया सीखने का प्रयास करता हूं, आपको यह प्रयास हमेशा करते रहना है।
संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि आपको जीवन में कभी हार नहीं माननी है। हमारे सामने कैसी भी चुनौती आए डटे रहना है, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थियों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। विवि के कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी ने विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा कि हमारे कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता भारत के सबसे कम उमर के कुलाधिपति हैं और उनका लक्ष्य विश्वविद्यालय को सबसे तेज गति से प्रगति करने वाली शिक्षा संस्था के रूप में आगे लेके जाने का है। विश्वविद्यालय में विश्व स्तर की शिक्षा, 25 स्टार्टअप्स और अमेरिका एवं यूके के शिक्षण संस्थानों के साथ महत्वपूर्ण एमओयू साइन हुए हैं। इसरो के यमुना नदी प्रोजेक्ट में भी संस्कृति विश्वविद्यालय मदद कर रहा है।
नैलनाक्ष एस व्यास (आईआईटी कानपुर) ने कहा कि यह दीक्षा का अंत नहीं है, यह तो शिक्षा की शुरुआत है। बस अब आपको ज़िंदगी सिखाएगी। शिक्षा प्रणाली और एआई के उपयोग के बारे में भी छात्रों को बताया। एआईयू के चेयरमैन विनय कुमार पाठक ने बताया कि अध्यापक, अभिभावक और छात्र तीनो छात्र की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। शिक्षा का कोई अंत नहीं होता और दीक्षा जीवन जीने का तरीका है। दीक्षा का प्रयोजन पुरातन है। सुदीप गोयंका(गोल्डी ग्रुप) ने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति(डॉ सचिन गुप्ता), प्रति कुलाधिपति राजेश गुप्ता एवं चेयरमैन विज़न ग्रुप के मुकेश गुप्ता को विश्वविद्यालय के ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश की उपाधि से सम्बोधित किया। विद्यार्थियों से उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का यह सफ़र आपकी ज़िंदगी का सबसे यादगार सफ़र होने वाला है। विश्वविद्यालय के 10000 विद्यार्थियों में से कोई भी कल का कुलपति हो सकता है।
भव्य और दिव्य वातावरण में संपन्न हुए संस्कृति विवि के छठे दीक्षांत समारोह की शुरुआत शैक्षणिक प्रोसेशन से हुई। आगे-आगे चल रहे एनसीसी कैडेट और गुरुकुल के विद्यार्थी इस प्रोसेशन को एक अलौकिक स्वरूप प्रदान कर रहे थे। सुबह से ही कार्यक्रम के लिए छात्रों में डिग्रियां पाने के लिए आतुरता नजर आ रही थी। छात्र कल्याण डीन डॉ धर्मेंद्र एस तोमर ने कार्यक्रम में सभी अध्यापकों, छात्रों एवं अभिभावकों का स्वागत किया।
कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने मंच पर आसीन आशुतोष राणा, अनन्तश्री विभूषित जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी सतीशाचार्यजी महाराज, महामंडलेश्वर हेमांगी सखी माँ, पूज्य चिन्मयानंद बापू जी, डॉ नलिनाक्ष एस व्यास आईआईटी कानपुर, शारदा सर्वज्ञ पीठाधीश्वर अनंतश्री स्वामी अमृतानंद देवतीर्थजी, आचार्य मनीष जी(हिम्स चंडीगढ़), डॉ जे सी चौधरी जी (आकाश इंस्टिट्यूट), सुदीप गोयंका (गोल्डी ग्रुप), प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ( चेयरमैन ए आई यू ), डॉ सचिन गुप्ता ( कुलाधिपति संस्कृति विश्वविद्यालय), राजेश गुप्ता प्रति कुलाधिपति संस्कृति विश्वविद्यालय), मुकेश गुप्ता( चेयरमैन विज़न ग्रुप), डॉ एम बी चेट्टी ( कुलपति संस्कृति विश्वविद्यालय), डॉ मीनाक्षी शर्मा ( सीईओ संस्कृति विश्वविद्यालय) का पटुका ओढ़ाकर एवं स्मृतिचिह्न देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन संस्कृति प्लेसमेंट सेल की अधिकारी ज्योति यादव एवं विकास कौशिक ने किया।
21 को मिली पीएचडी की डिग्री
कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी ने 21 पीएचडी की उपाधि वाले छात्रों को मंच पर आमंत्रित किया और सभी अतिथियों ने मिलकर उनको उपाधि से नवाज़ा। उसके बाद मास्टर्स वाले 232 छात्रों, उनके बाद 1277 बैचलर्स और 515 डिप्लोमा वाले छात्रों को उनकी उपाधि प्रदान की गई और उन्हें शपथ दिलवायी गई। साथ ही अपने विषय में विशेष दक्षता हासिर करने वाले 45 विद्यार्थियों को गोल्ड, 44 को सिल्वर और 39 विद्यार्थियों को ब्रोंज मेडल देकर सम्मानित किया गया।

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