
संस्कृति विवि के दीक्षांत समारोह में सनातन पर खुलकर बोले संत
सनातन संवाद
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में हुए विराट सनातन संवाद में देश के ख्यातिप्राप्त संतों और विद्वानों ने भारतीय प्राचीन दार्शनिक और धार्मिक परंपरा के मूल सिद्धांतों, प्रासंगिकता और समकालीन अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की। इस आयोजन का उद्देश्य सनातन धर्म की शिक्षाओं और आज की दुनिया में उनके महत्व की गहरी समक्ष को बढ़ावा देना था। विद्यार्थियों और आगंतुक श्रोताओं के लिए एक ही मंच पर इतने सारे आध्यत्मिक गुरुओं का साक्षात्कार और उनकी ज्ञान धारा को सुनने का यह एक यादगार अवसर बन गया।
सनातन संवाद में मौजूद फिल्म अभिनेता, कवि और लेखक डा. आशुतोष राणा ने अपने अभिनेता से आध्यात्मिकता के सफर का उल्लेख करते हुए बताया कि यह गुरु कृपा से ही संभव हुआ है। 16 साल की उम्र में जब पहली बार अपने गुरु से मिले और पढ़ाई पूरी होने के बाद अपने जुनून को ही अपना पेशा बनाने की ठान ली। आध्यात्म हर व्यक्ति के मूल में होता है। सर्वसमर्थ गुरु की कृपा दृष्टि का ही सब महत्त्व है। भारत में सनातन धर्म ने हर क्षेत्र में दिशा दिखाई, क्या आप मानते हैं इसमें समय के साथ बदलाव आया है के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति धर्म सम्मत होनी चाहिए, अगर आप धर्म की रक्षा करेंगे तो धर्म आपकी रक्षा करेगा। रावण की नकारात्मकता पे उनसे पूछा गया तो राणा ने बोला की उनकी बुराई पे ध्यान ना देकर हमें उनके ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए। राष्ट्रवाद पर युवा विवाद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि किसी भी विवाद को संवाद से ही हल किया जा सकता है।
बापू चिन्मयानंद महाराज ने अपना संवाद भजन के माध्यम से शुरू किया और सनातन को मिटाने के प्रयास के सवाल पर बोले ऐसा करने वाले ख़ुद को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। परमात्मा एक ही है और वही सर्वविराजमान है। ब्रज से यह सीखना चाहिए कि प्रकृति की रक्षा कैसे करना चाहिए। सुधांशु जी महाराज ने कहा कि एआई सनातन को नष्ट करने की बहुत कोशिश की है। सनातन की जड़ों को नष्ट करके हम संस्कृति को नहीं जान सकते। हमें अपने गुरुओं और अभिभावकों की मदद से सनातन को जानने की कोशिश करनी चाहिए। मिटने वाले मिट जायेंगे पर सनातन ज़िंदा रहेगा। सनातन था, है और हमेशा रहेगा।
कौशिक जी महाराज ने बताया कि गौ माता ही सनातन की जड़ है। हमें गौ सेवा करनी चाहिए। जन्माष्टमी में मटकी में माखन तब होगा जब गाय होंगी। जितना बड़ा मंदिर है उतनी ही बड़ी उनकी गौशाला भी होनी चाहिए। आशुतोष राणा से पूछे गए प्रश्न की उन्होंने प्रशंसा की। ऐसे रास्ते पे चलें जिससे पीछे आने वाले लोग भी हमसे प्रभावित होके हमारे रास्ते पर चलें। सनातन अनादि, और अनंत हैं।
जगद्गुरु सतीश आचार्यजी महाराज ने वैष्णव परंपरा और शंकराचार्य के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि जगद्गुरु तथा शंकराचार्य दोनों परस्पर परंपरा है। शंकराचार्य को शंकर के नाम से जाना जाता है। जगद्गुरु श्रीकृष्ण को मानते हैं। युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि चुनौती जीवन के प्रत्येक पद पर है। जन्माष्टमी पर जन्मभूमि का मसला बनेगा, इस विषय पर उन्होंने कहा की विवाद जैसा कोई मसला नहीं है, उस पर इस देश की दुर्भाग्यता है कि हमें अच्छी सरकारें तथा क़ानून नहीं मिले। उन्होंने गुरु मंत्र देते हुए युवाओं को प्रेरित करते हुए बोला कि हारिये ना हिम्मत, दिशा देंगे राम। जगद्गुरु हिमांगी सखी जो कि पहली किन्नर जगद्गुरु है और पांच भाषाओं में सनातन धर्म का प्रचार करती हैं। उन्होंने कहा कि जब हमारी संस्कृति को बचाने की बात आती है तो किसी ना किसी को तो आगे आना ही पड़ता है। आजकल किन्नर समाज के प्रति बहुत जागरूकता देखी गई है। युवा पीढ़ी को सनातन का ज्ञान भी अवश्य होना चाहिए।
अनन्तश्री स्वामी अमृतानंद देव तीर्थ जी ने ग्रह नक्षत्रों के बारे में बताते हुए कहा कि 27 नक्षत्र होते हैं और हर मनुष्य के अलग-अलग नक्षत्र होते हैं । प्रकृति का संरक्षण करना है तो वो नक्षत्र वृक्षों तक हो सकता है। इन्होंने कहा कि अग्नि का धर्म है जलाना, वायु का धर्म है स्पर्शन, उसी प्रकार मनुष्य का भी धर्म है तथा मनुष्य का धर्म के साथ वही संबंध है जो एक वृक्ष का धरा के साथ होता है। वृक्ष धरती से उखड़ते ही नष्ट हो जाता है वैसे ही मनुष्य धर्म से विमुख होकर विनाश के रास्ते पे चल पड़ता है।
आचार्य मनीष ने आयुर्वेद का महत्व बताते हुए कहा कि, जब एलोपैथी में साइड इफेक्ट्स आते हैं तो ही लोग आयुर्वेद में उपचार कराते हैं। स्वास्थात्स्य स्वास्थ रक्षणम् , स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ की रक्षा करना ही आयुर्वेद वैद्य का धर्म है। उन्होंने ऋतुचर्या और दिनचर्या का हमारे शरीर के लिए क्या लाभ हैं, उन्होंने ये सभी बातों पे प्रकाश डाला। विज़न ग्रुप के चेयरमैन मुकेश गुप्ता जी ने मनीष आचार्य का सम्मान किया। विज़न फाउंडेशन के चेयरमैन मुकेश गुप्ता ने कहा कि बचपन से हम सब लोग बस लेते आए हैं, मुझे लगा कि हमें समाज को कुछ ना कुछ देना चाहिए। इसीलिए मैंने एक दिव्यांग जनों की सेवा का जिम्मा उठाने का फैसला किया। सरकार को दिव्यांगों की उचित जानकारी नहीं है। इस वजह से सेवाओं में कमी रह रही है। संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता जी से विश्वविद्यालय के नाम के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि हमारी पहचान हमारे देश और हमारे संस्कारों से होती है इसीलिए हमारे विश्वविद्यालय का नाम संस्कृति विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय की विशेषताओं का व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय विभिन्न संस्कृतियों की एक मिसाल है जिसका उदहारण यह है कि हमारे विश्वविद्यालय में 10000 से ज़्यादा विद्यार्थी अध्यन्न करते हैं जो की 18 देशों और 22 राज्यों से आए हैं । विश्वविद्यालय का व्याख्यान करते हुए उन्होंने बताया कि संस्कृति में 25 स्टार्टअप्स इस समय पर हैं और 1 इनक्यूबेशन सेंटर है जिसकी सहायता से विश्वविद्यालय को एक रिसर्च बेस्ड विश्वविद्यालय बनाने का अथक प्रयास कर रहे हैं।
संतों और विद्वजनों को प्रसिद्ध बरासिया एडवरटाइसिंग कंपनी के स्वामी आदित्य बरासिया, विजन ग्रुप के चेयरमैन मुकेश गुप्ता, संस्कृति विवि के प्रति कुलपति राजेश गुप्ता, भारत बरासिया, वनिशा गुप्ता, रेनू गुप्ता ने स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। भजन संध्या के साथ संपन्न हुआ सनातन संवाद। अंत में संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ सचिन गुप्ता के द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।