Sunday, August 24, 2025
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संस्कृति विवि में संस्कृत दिवस पर आयोजित हुआ संस्कृतमय कार्यक्रम

चित्र परियः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल सभागार में आयोजित संस्कृत दिवस समारोह में भाग लेने वाले छात्र-छात्राएं शिक्षकों के साथ।


मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल सभागार में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल के तत्वाधान में ‘संस्कृत दिवस’ का आयोजन किया गया। इस अवसर पूरी तरह से संस्कृत भाषा में आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने संस्कृत भाषा की प्राचीनता, दिव्यता और समृध्दशाली पृष्ठभूमि से जुड़ी प्रस्तुतियां देकर उपस्थित लोगों को जागरूक किया।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. मोहनन एम ने कहा कि इस दिवस का उद्देश्य संस्कृत भाषा के महत्व को बढ़ावा देना, ऋषि-मुनियों के प्रति सम्मान व्यक्त करना और भारतीय संस्कृति की प्राचीन भाषाई धरोहर को संरक्षित करना है। भारत सरकार ने 1969 में इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी, ताकि संस्कृत भाषा के प्रचार और प्रसार को बढ़ावा मिल सके।
संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज के शिक्षक सुधिष्ठ कुमार मिश्रा ने बताया कि संस्कृत को सभी भारतीय भाषाओं की जननी और वेदों, उपनिषदों, धार्मिक ग्रंथों, और मंत्रों की भाषा माना जाता है। संस्कृत दिवस इस भाषा के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। संस्कृत साहित्य के आदि स्रोत ऋषि-मुनि ही हैं, इसलिए इस दिन को ऋषि पर्व और संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। छात्रा दिया, अवंतिका, काजल, नुपूर ने संस्कृत भाषा में मां सरस्वती की अराधना करते हुए वंदना की। छात्रा ने गणेश वंदना और पंचरत्नम का पाठ नीलम भाटी ने किया। छात्रा वंशिका चौधरी ने अपने वक्तव्य में बताया कि संस्कृत को सभी भारतीय भाषाओं की जननी और वेदों, उपनिषदों, धार्मिक ग्रंथों, और मंत्रों की भाषा माना जाता है. संस्कृत दिवस इस भाषा के महत्व को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। छात्रा जाह्नवी, प्रिया पांडे अपूर्वा ने रुद्राष्टकम का पाठ कर माहौल को संस्कृतमय कर दिया। छात्रा रिया, अंशु ने सुरीले कंठ से विष्णु सहस्त्रनाम का सस्वर पाठ किया। इस बीच छात्र अरुन, ध्रुव, सत्यम, छात्रा दिया, मोनिका, सिमरन, ताशु ने एक लघु नाटिका के माध्यम से भारतीय संस्कृति के महत्व का बखान किया। वहीं छात्र अभिनव और घनश्याम ने लक्ष्मण-परशुराम संवाद को मंच पर बड़ी कुशलता से अभिनीत कर खूब तालियां बटोरीं। छात्र दीपक, छात्रा तुलसी ने शिव स्तुति, छात्रा क्रीमा, अंशिका, दीपिका, तनीषा, खुशी, सलोनी, चंचल, परी, अनुप्रिया, शिवानी श्रेया ने संस्कृत भाषा में विभिन्न प्रस्तुतियां दीं।
अंत में सुधिष्ठा सर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस संस्कृतमय कार्यक्रम का कुशल संचालन अभिषेक वार्ष्णेय ने किया।

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