Thursday, September 4, 2025
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चित्र परिचयः विद्यार्थियों को संबोधित करते देश के लोकप्रिय और सफल शिक्षक फैजल खान। मंच पर मौजूद संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता, कुलपति प्रो. एमबी चेट्टी, लाइफ एंड बिजनेस कोच पियूष भाटिया और संस्कृति विवि की सीईओ डा. श्रीमती मीनाक्षी शर्मा।

संस्कृति विवि में बोले खान सर, लुक नहीं बुक पर फोकस करो

संस्कृति दीक्षारंभ 2025
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय के ‘दीक्षरंभ 2025’ कार्यक्रम में पहुंचे देश के ख्यातिप्राप्त और लोकप्रिय शिक्षक फैजल खान जो अपने स्टूडेंट के बीच खान सर के नाम से जाने जाते हैं, ने नवीन सत्र के और अध्ययनरत विद्यार्थियों को कहा कि लुक में कुछ नहीं रखा है, बुक में फोकस करो। दुनिया पुरुष प्रधान नहीं है, पैसा प्रधान है। आप परीक्षा में कितने परसेंट से पास हुए हैं, उसकी कोई वेल्यु नहीं। वेल्यु स्किल की है। स्किल नहीं तो डिग्री को कोई नहीं पूछेगा।
अपनी सम्मोहक भाषा शैली में उन्होंने हर विद्यार्थी से जुड़ते हुए कहा कि आप अपना समय मोबाइल, दोस्तों की संगत में मत खराब करो। आप उम्र के उस दौर में हो जिसमें आप सबकुछ हासिल कर सकते हो। यह समय अगर बरबाद कर दिया तो आपकी स्थिति एक सूखे बांस जैसी होगी जो मारने पर फट जाता है। यही समय है आप के लचीले बांस जैसे हो जिधर मोड़ोगे उधर मुड़ जाएगा, बाद में यह नहीं मुड़ेगा। थोड़ी ही देर में खान सर विद्यार्थियों से इस कदर जुड़ गए कि उनकी हर नसीहत पर कार्यक्रम में मौजूद हजारों विद्यार्थी तालियां बजाकर उनका साथ देने लगे। खान सर ने कहा कि टीचर आपको उसी तरह से निखारता है जैसे शिल्पकार छैनी, हथोड़े से चोट मारकर साधारण पत्थर को ईश्वर की मूर्ति में बदल देता है। अगर पढ़ने की कैपेसिटी नहीं बढ़ाई तो बाद में पछताना पड़ेगा। यह विद्यार्थी जीवन कभी लौटकर नहीं आएगा। आप देखेंगे कि आपके साथ पढ़ने वाला साथी जो मोबाइल और दोस्तों के चक्कर से दूर रहा सबको रौंदकर कैसे आगे निकल गया। आपका यह समय ही निर्धारित कर देगा कि आपको क्या बनना है।
अपनी सरल और समझ में आने वाली भाषा में खान सर ने कहा कि आप भाग्यशाली हो जो आपके माता-पिता ने बेहतरीन सुविधा संपन्न संस्कृति विश्वविद्यालय में आपको प्रवेश दिलाया। जरा उन गरीब बच्चों के बारे में सोचो जिनको अभाव में पढ़ने का मौका ही नहीं मिल पा रहा। आपको यहां से पढ़ाई पूरी कर संकल्प लेना चाहिए कि मैं अपने जीवन में एक बच्चे को जरूर पढ़ाऊंगा। उन्होंने कहा कि आज देश के 140 करोड़ लोग अपने 280 हाथों को खड़ा कर लें तो भारत को फिर से सौने की चिड़िया बनने से कोई नहीं रोक सकता। रावण को आज कोई नहीं याद रखता लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम राम को सब पूजते हैं। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि हमारे देश में एक विश्वविद्यालय टीचर के लिए भी बने, जिसमें वे अपडेट होते रहें। शिक्षकों को यह समझना होगा कि हम स्वादिष्ट भोजन अगर चम्मच से कराएंगे तो ही उसे बच्चे खाएंगे, करछुल से खिलाएंग तो कौन खाएगा।
उन्होंने बताया कि जब आप किसी योग्य हो जाएं तो समाज को जरूर लौटाएं। मैंने समाज के लिए ब्लड बैंक बनाया, एक कैंसर हास्पिटल बना रहा हूं जिसका प्रयास होगा कि हम कैंसर को फर्स्ट स्टेज पर ही रोक दें। समाज को एक होने की जरूरत है। हमें पश्चिमी सभ्यता का अनुकरण नहीं करना है हमें अपनी संस्कृति के साथ ही आग बढ़ना और ऊपर उठना है। हमारी संस्कृति सबसे श्रेष्ठ है।
विद्यार्थियों के सवाल और खान सर के मजेदार जवाब
इस बीच विद्यार्थियों द्वारा खान सर से पूछे गए सवालों को संस्कृति विवि के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने खान सर के सामने रखा। एक सवाल के उत्तर में खान सर ने बड़े बेलौस अंदाज में कहा हमारे यहां एजूकेशन और सिस्टम दोनों ही बिगड़े हुए हैं। सरकार को चाहिए और उसकी ड्यूटी है कि अगर कोई डिग्री हासिल करता है तो उसे नौकरी मिले। अगर वह अच्छा नहीं है तो उसने डिग्री कैसे हासिल की, यह सरकार की जिम्मेदारी है। एक अन्य सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि शिक्षा इतनी सरल ढंग से टीचर को देनी चाहिए कि उसक कक्षा की अंतिम पंक्ति में बैठा विद्यार्थी भी कह सके कि जो पढ़ाया है उसमें से कहीं से पूछ लो मैं जवाब दूंगा। अच्छा टीचर वो है जो विद्यार्थियों के बीच अच्छा टीचर कहलाता है। मैंने गरीबी में ठोकर खाकर चला हूं इसलिए जानता हूं कि बच्चों को क्या चाहिए। दुनियां बुलंदियों को देखती है आपके छालों को नहीं।

संस्कृति विश्वविद्यालय खान सर को देगा मानद् उपाधि
दीक्षारंभ कार्यक्रम के मध्य संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने घोषणा करते हुए कहा कि देश में विद्यार्थियों के चहेते और पढ़ाने की विशेष कला के धनी खान सर को अगले वर्ष संस्कृति विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मानद उपाधि से सम्मानित किया जाएगा। खान सर ने इस सम्मान के लिए संस्कृति विवि और कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता का धन्यवाद किया और विश्वविद्यालय की इस पेशकश को सहर्ष स्वीकर किया।

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