
संस्कृति दीक्षारंभ 2025 में दिग्गजों ने छात्रों को दिखाई सही राह
मथुरा। संस्कृति विश्वविद्यालय में चल रहे दीक्षारंभ 2025 में नवीन सत्र के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए सेना के पूर्व अधिकारी, बालीवुड अभिनेता और मोटीवेशनल स्पीकर मेजर डा. मोहम्मद अली शाह ने राधे-राधे के उच्चारण के साथ कहा कि वक्त की कीमत आपको समझनी होगी। क्षण भर में लिया गया निर्णय आपकी पूरी जिंदगी बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखता है। हमें वक्त का सम्मान करना सीखना होगा।
विश्वविद्यालय के संतोष मैमोरियल सभागार में मेजर शाह ने अपने फौजी जीवन के किस्से सुनाते हुए बताया कि मैं परेड करते वक्त कई बार फेल हुआ लेकिन एक दिन ऐसा भी आया जब मैंने अपनी कमांड का कैप्टन बनकर कर्त्तव्य पथ पर नेतृत्व किया और देश विदेश के मेहमानों के सामने मार्चपास्ट किया। आपको कभी हार नहीं माननी है। जोशीले अंदाज में कवि सोहनलाल द्विवेदी की कविता, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, सुनाकर विद्यार्थियों में जोश भर दिया। उन्होंने कहा कि महत्व इस बात का नहीं कि आप कहां से आए हैं, महत्व इस बात का है कि आप कहां तक जाते हैं। उनका कहना था कि विश्वविद्यालय में सभी जगह से विद्यार्थी आते हैं, लेकिन नाम उन्हीं का होता है जो अपनी प्रतिभा से ऊपर उठते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि वे पहले भी संस्कृति विवि आ चुके हैं, यहां आकर अलग सी अनुभूति होती है जो मन में सकारात्मकता पैदा करती है।
समाजिक कार्यकर्ता, यूथ फार नेशन संगठन के अध्यक्ष बिरंदम गुनाकर ने विद्यार्थियों को पर्यावरण के महत्व और इसकी सार्थकता पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि आज जमीन, वायुमंडल और जल सभी प्रदूषित हो गया है। सारा विश्व स्वीकार रहा है कि हमसे कुछ गल्तियां हुई हैं। 1972 में स्टाक होम में पर्यावरण को लेकर चिंता व्यक्त की गई और पांच जून 1973 से पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत की गई। 1760 में हुई औद्योगिक क्रांति के बाद दुनियाभर में पेड़ काटे गए। दो विश्व युद्ध हुए और पर्यावरण लगातार खराब हुआ। गुनाकर ने कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल से पर्यावरण को महत्व दिया जाता रहा है, लेकिन अत्याधिक कीटनाशकों और कैमिकल से तैयार खादों के कारण हमारी जमीन तेजी से अपनी उर्वरा क्षमता खोती जा रही है।
अक्क्षय पात्र से आईं सुलोचना देवी ने विद्यार्थियों को शिक्षा के दबाव से मुक्ति के लिए बहुत व्यवहारिक तरीके बताए। उन्होंने कहा कि जहां आपका विश्वविद्यालय है वह स्थान साधारण स्थान नहीं है। ये भगवान कृष्ण की ब्रज भूमि है। यहां कि तरंगे आप महसूस करेंगे और आपको शांति मिल जाएगी। उन्होंने गीता के उद्धरण प्रस्तुत करते हुए कि आपके अंदर सहिष्णुता होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि आप अपने दबावों को बहुत ही समझदारी से कम कर सकते हैं। अपने अंदर कभी भी हीन भावना न आने दें। कोई आपसे बुरा बोलता है तो उसे ध्यान न दें। अपने अंदर की विशेषता को बनाए रखें। कार्यक्रम का संचालन संस्कृति प्लेसमेंट सेल की अधिकारी श्रीमती ज्योती यादव ने किया।
मेहनत तो करनी पड़ेगीः डा. सचिन गुप्ता
संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डा. सचिन गुप्ता ने अपने अध्यक्षीय भाषण में विद्यार्थियों से कहा कि आपके सच्चे मेंटर माता-पिता ही होते हैं। आप सबकुछ हासिल कर सकते हैं जो आप और आपके माता-पिता चाहते हैं, लेकिन इसके लिए आपको मेहनत करनी पड़ेगी। कभी मायूस हो तो नीचे की ओर देख लेना, तुमसे नीचे बहुत बड़ी संख्या में लोग हैं। अपने आप पर विश्वास रखिए आपको मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि कभी भी निराश और उदास नहीं होना है। खूब सपने देखो, खूब ऊंचाईयों पर पहुंचो। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल जे.कलाम का उदाहरण देते हुए कहा कि हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी है। आपको कौशलयुक्त होना है। यह विश्वविद्यालय आपका परिवार है।