
मथुरा। बात पांच छः दिन पुरानीं है। हमारे एक बड़े भाई हैं सीताराम जी उनकी पत्नीं की अचानक हालत बिगड़ गई। उन्हें शरीर के एक हिस्से मैं पक्षाघात की शिकायत हो गई। एक हाथ और एक पैर ने काम करना और तो और मुंह से आवाज निकलना भी बंद, यही नहीं आंखें भी पथराने लगीं। हालत यह कि ब्लड प्रेशर व शुगर दोनों शून्य पर जा पहुंचे। हम सभी परिवारी जनों के हाथ पैर फूल गए और ऐसा लगने लगा कि भगवान ने अचानक कोई बड़ी कुघड़ी भेज दी। घर में राय बनी कि इन्हें तुरंत के.डी. मेडिकल ले चलो। मैंने रामकिशोर जी को फोन किया और वस्तु स्थिति से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि मैं अभी फोन करके सारी व्यवस्थाएं कराता हूं, आप लोग इन्हें लेकर तुरंत के.डी. पहुंचो।
इसके बाद हमारे भाई साहब व भतीजे आदि उन्हें लेकर लगभग आधी रात के समय के.डी. मेडिकल पहुंचे वहां डॉक्टर व स्टाफ पहले से ही रेडी था। मरीज के पहुंचते ही उपचार मिलना प्रारंभ और देखते ही देखते हवा का रुख बदलने लगा मुंह से आवाज निकलने लगी और हाथ पैरों में भी हरकत शुरू। शायद कोई चमत्कार सा होने लगा। दो दिन के अंदर लगभग 90% शिकायत दूर हो गई और तीसरे दिन डिस्चार्ज। यही कारण है कि अंदर से स्वतः ही आवाज निकल रही है कि "जुग जुग जिएं रामकिशोर" कहने का मतलब है कि एक और तो चिकित्सा के नाम पर कदम कदम पर कट्टी खाने खुल रहे हैं, और दूसरी ओर मरीजों की सेवा अव्वल दर्जे की तथा शुल्क नाम मात्र का।
कहते हैं कि 24 घंटे में कुछ क्षण हर इंसान के पास ऐसे आते हैं कि मुंह से निकली बात सच हो जाती है। शायद रामकिशोर जी के पास भी ऐसे ही कुछ क्षण आए जो उन्होंने मुझसे शुरुआती दौर में ही कह दिया कि "गुप्ता जी किसी बात की चिंता मत करना सब ठीक हो जाएगा, इन्हें पूरी तरह ठीक करके ही अस्पताल से वापस घर भेजूंगा। बाद में उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोगों को तसल्ली तभी मिलती है जब मरीज को दिल्ली ले जाते हैं, भले ही ऑपरेशन बिगड़ जाए और मरीज खतरे में चला जाए।
किसी ने ठीक ही कहा है कि "नाम बड़े और दर्शन छोटे" इसका जीता जागता उदाहरण नयति है और उसका हश्र सभी के सामने भी मौजूद है। एक नयति ही नहीं अनेक नयति भी यहां कुकुरमुत्ते की तरह उपज आए हैं। ऐसा नहीं कि सभी कट्टी खाने हैं किंतु बहुमत कसाइयों का है। ये कसाई इंसान होते हुए भी राक्षसों से भी ज्यादा बुरे हैं। ज्यादा कहना सुनना बेकार है "जो जस करई सो फल चाखा" ईश्वर के यहां देर है अंधेर नहीं कभी इन कसाइयों की नार पर भी गड़सा जरुर चलेगा और उसके बाद यह होगा कि "अब पछताए होत क्या जब चिड़ियां चुग गईं खेत।
डाॅ. रामकिशोर के मोबाइल नंबर
9897126000
9897400022