-वेद मंत्र उच्चारण के मध्य किया गया पूजन अर्चन
-हवन यज्ञ में दी आहुति





वृंदावन। जीएलए विश्वविद्यालय में सृजन एवं शिल्प के देवता भगवान विश्वकर्मा जयंती विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के मध्य हवन-पूजन के साथ संपन्न हुआ।
कुलपति प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने बताया कि भगवान विश्वकर्मा पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ब्रह्मा के मानस पुत्र हैं और उन्हें सृष्टि का प्रथम वास्तुकार माना जाता है। उनकी गणना पंचदेवों में की जाती है और वे दिव्य निर्माणों के अधिपति हैं।
चीफ फाइनेंस ऑफिसर डॉ. विवेक अग्रवाल ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा को कई चमत्कारी और दिव्य निर्माणों के लिए जाना जाता है जैसे स्वर्ग लोक, इंद्रपुरी अमरावती, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, इंद्र का वज्र, शिवजी का त्रिशूल, विष्णु का सुदर्शन चक्र और कुबेर का पुष्पक रथ भी इनके निर्माण माने जाते हैं।
इससे पूर्व वेद मंत्र उच्चारण के मध्य भगवान विश्वकर्मा का पूजन अर्चन किया गया तथा हवन यज्ञ में आहुति दी गई।
इस अवसर पर कुलसचिव अशोक कुमार सिंह सहित जीएलए परिवार के सभी सदस्य श्रद्धा और उत्साहपूर्वक शामिल रहे।