


चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल हाल में 10वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों को संबोधित करते प्रो.डा.सीएसआर प्रभु।
चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल हाल में 10वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में नाट्य प्रस्तुति करते विद्यार्थी।
चित्र परिचयः संस्कृति विवि के संतोष मैमोरियल हाल में 10वें आयुर्वेद दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में नृत्य प्रस्तुत करतीं संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज की छात्राएँ
मथुरा। संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल द्वारा सात दिवसीय आयोजनों के साथ 10वां आयुर्वेद दिवस मनाया गया। इस दौरान बॉडी पेंटिंग, डिबेट. प्रकृति व्याख्या, पोस्टर मेकिंग कंपटीशन, आयुर्वेद आहार, क्विज, रील मेकिंग, मिनी एक्सपो का आयोजन किया गया। इतना ही नहीं संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल की टीम ने गांव-गांव जाकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए।
10वें आयुर्वेद दिवस पर विवि के संतोष मैमोरियल हाल में मुख्य अतिथि पूर्व चेयरमैन आयुर्वेदिक फार्मोकोपियर कमेटी आयुष मंत्रालय प्रो.डा. विनोद कुमार जोशी द्रव्यगुन के अंतर्गत औषदीय पौधों से तैयार होने वाली औषधियों उनके रोपण के बारे में विस्तार से जानकारी दी। विशिष्ठ अतिथि प्रो. डा. सीएसआर प्रभु ने योग और उसके महत्व के बारे में बताया। इस मौके पर छात्र अभिनव और उनके साथियों ने कालांतर आयुर्वेद पर सशक्त नाट्य प्रस्तुति दी। इसी प्रकार बीएएमएस के प्रथम वर्ष के छात्रों ने आधारणीय वेगों पर प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुति दी। छात्रा कीर्ति, छात्र देवांश और अदिति ने मानसिक शांति और स्वास्थ्य पर संभाषणों से विद्यार्थियों को जागरूक किया। छात्रा मुस्कान और उनके साथियों ने राजस्थानी लोकनृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि के दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। संस्कृति आयुर्वेद मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. मोहनन ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालनन छात्रा अपूर्वा, धर्मिता और खुशी ने किया। आयुर्वेद दिवस को लेकर किए गए सभी कार्यक्रमों के संयोजन में संयोजन डा. एकता कपूर, डा. प्रशांत और डा. सुरभि का विशेष योगदान रहा।
सांस्कृतिक और स्वास्थ्य जागरूकता गतिविधियों के अंतर्गत 10वें आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में विद्यार्थियों द्वारा एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया गया। नाटक का विषय था “आयुर्वेद में वेग और वेगविधारण” , जिसमें छात्रों ने सामान्य जीवनशैली में प्राकृतिक वेगों को न रोकने और अनुचित वेगों को संयमित करने के महत्व को दर्शाया। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से विद्यार्थियों ने बताया कि प्राकृतिक वेगों का दमन (जैसे मल, मूत्र, छींक, खाँसी आदि) शरीर को अनेक रोगों की ओर ले जाता है, जबकि अस्वास्थ्यकर वेगों का पालन (जैसे क्रोध, लोभ, निद्रा, अति भोजन आदि) व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक समस्याओं में फँसा देता है। छात्रों ने रोचक संवादों और अभिनय के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि आयुर्वेद केवल रोगों का उपचार ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की सही पद्धति भी सिखाता है। कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज के संहिता और सिद्धांत विभाग द्वारा किया गया।
आयुर्वेद दिवस के कार्यक्रमों के उपलक्ष्य में संस्कृति आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में आयुर्वेदिक आहार निर्माण प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम छात्रों में आयुर्वेदिक पोषण, संतुलित आहार और पारंपरिक आयुर्वेदिक आहार पद्धतियों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कुलाधिपति डॉ. सचिन गुप्ता जी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. मीनाक्षी शर्मा जी ने किया।
प्रतियोगिता में प्रस्तुत व्यंजनों का मूल्यांकन प्राचार्य आदरणीय डॉ. एम. मोहनन जी और डीन (होटल प्रबंधन विभाग) आदरणीय रतीश शर्मा जी ने किया। यह आयोजन स्वस्थवृत विभाग द्वारा आयोजित किया गया, जिनके मुख्य आयोजक डॉ. शिप्रा पांडेय, डॉ. अशिम और डॉ. आकांक्षा हीर थे।
शरीर रचना विभाग द्वारा एक अनूठी बॉडी पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य आयुर्वेद और मानव शारीरिक संरचना (एनाटॉमी) के बीच संबंध को उजागर करना था। इस प्रतियोगिता में 20 समूहों ने भाग लिया और अपनी कला के माध्यम से शरीर विज्ञान (एनाटॉमी) और आयुर्वेद के महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाया। प्रतियोगिता में शरीर रचना विभाग से डॉ. सुरभि और डॉ. अनिता ने सभी छात्रों को आयुर्वेद और शारीरिक संरचना के महत्व को लोगों तक पहुँचाने के लिए अपने विचार साझा किए।