
ब्रज क्षेत्र की पहली आधुनिकतम मशीन का मरीजों को मिलेगा लाभ
अब फेफड़े और सांस सम्बन्धी बीमारियों की पहचान होगी आसान
मथुरा। के.डी. मेडिकल कॉलेज-हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में लगातार आधुनिकतम चिकित्सा सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है। ब्रज क्षेत्र के लोगों को किसी भी तरह की बीमारी के इलाज के लिए महानगरों की तरफ न भागना पड़े इसके लिए यहां पुख्ता प्रबंध किए जा रहे हैं। हाल ही में यहां एंडोब्रोन्कियल अल्ट्रासाउंड (ईबीयूएस) मशीन लगाई गई है। इस आधुनिकतम मशीन से अब फेफड़े व सांस सम्बन्धी बीमारियों का पता लगाना आसान हो जाएगा। इसके माध्यम से फेफड़ों की बीमारी और कैंसर की भी पहचान आसानी से हो सकेगी।
विभागाध्यक्ष श्वसन चिकित्सा डॉ. एस.के. बंसल ने बताया कि संस्थान के चेयरमैन श्री मनोज अग्रवाल चिकित्सा क्षेत्र में बदलाव के पक्षधर हैं। श्री अग्रवाल के प्रयासों से के.डी. हॉस्पिटल में लगाई गई एंडोब्रोन्कियल अल्ट्रासाउंड मशीन मथुरा ही नहीं समूचे ब्रज क्षेत्र की पहली मशीन है। उन्होंने बताया कि इस मशीन से अब फेफड़े व सांस सम्बन्धी बीमारियों का पता आसानी से लग जाएगा। इसमें वायुमार्ग की दीवार व आसपास की संरचनाओं को देखने के लिए ब्रोंकोस्कोपी के साथ अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है। इससे 360 डिग्री छवि मिलती है तथा अल्ट्रासाउंड छवियों का उपयोग असामान्य फेफड़े के नोड्यूल या बड़े घाव को देखने के लिए किया जाता है। इसका फायदा यह है कि इससे फेफड़े की बीमारी या फिर कैंसर का पता आसानी से चल जाता है।
डॉ. बंसल का कहना है कि एंडोब्रोन्कियल अल्ट्रासाउंड (ईबीयूएस) मशीन चिकित्सा उपचार में न केवल सुरक्षित है बल्कि इसमें खून बहने की आशंका कम रहती है। डॉ. बंसल का कहना है कि एंडोब्रोंकियल अल्ट्रासाउंड (ईबीयूएस) मशीन रेडियल जांच की नई निदान पद्धति है, जिसका उपयोग ब्रोंकोस्कोपी में किया जाता है। इसमें अन्य उपचारों की तुलना में ईबीयूएस रोगियों में न्यूमोथोरैक्स, इंटरकोस्टल ट्यूब सम्मिलन दर और रक्तस्राव जैसी जटिलताएं सबसे कम हैं।
डॉ. शुभम द्विवेदी (एमडी, इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजिस्ट) बताती हैं कि ईबीयूएस (एंडोब्रोन्कियल अल्ट्रासाउंड) मशीन ब्रोंकोस्कोप से जुड़ी एक उन्नत अल्ट्रासाउंड मशीन है, जिसका उपयोग फेफड़ों और उनके आसपास के लिम्फ नोड्स (लसिका ग्रंथियों) से ऊतक के नमूने लेने और आंतरिक संरचनाओं को देखने के लिए किया जाता है। इसका उपयोग फेफड़ों के कैंसर, संक्रमण और सूजन सम्बन्धी बीमारियों का निदान करने, उनकी स्थिति का पता लगाने और पारम्परिक सर्जरी के बिना बायोप्सी (ऊतक जांच) करने के लिए किया जाता है।
ईबीयूएस मशीन ब्रोंकोस्कोप के सिरे पर एक अल्ट्रासाउंड जांच यंत्र से जुड़ी होती है, जो ध्वनि तरंगों का उपयोग करके फेफड़ों और लिम्फ नोड्स की उच्च-गुणवत्ता वाली तस्वीरें उत्पन्न करती है। यह प्रक्रिया डॉक्टरों को असामान्य क्षेत्रों को देखने में मदद करती है जो एक्स-रे या सीटी स्कैन जैसे अन्य परीक्षणों में दिखाई नहीं देते। डॉ. द्विवेदी का कहना है कि इस मशीन का उपयोग फेफड़ों के कैंसर के निदान और उसके फैलाव (स्टेजिंग) को रोकने के लिए किया जाता है। इसमें पारम्परिक सर्जरी की तुलना में जोखिम और जटिलताएं कम होती हैं। यह मशीन पारम्परिक इमेजिंग विधियों से दिखाई न देने वाली छोटी-छोटी खामियों का भी पता लगा सकती है।
चित्र कैप्शनः एंडोब्रोन्कियल अल्ट्रासाउंड मशीन के शुभारम्भ अवसर पर श्वसन चिकित्सा विभाग के चिकित्सक व अन्य।