Tuesday, December 2, 2025
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गीता शोध संस्थान में समाज गायन, अठारह अध्याय-अठारह श्लोक की संगीतमय प्रस्तुतियां

श्रीमद भागवत गीता की आज संसार में सर्वव्यापी स्वीकारोक्ति

-श्री गीता एक अध्यात्मिक विज्ञान विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

वृंदावन। उप्र ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा वृंदावन में संचालित गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी में दो दिवसीय गीता जयंती महोत्सव का आयोजन किया गया।
प्रथम दिवस गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के प्रशिक्षु छात्र व छात्राओं ने अठारह अध्याय-अठारह श्लोक कार्यक्रम अंतर्गत संगीतमय प्रस्तुति दी।
मणिपुर की रंग निकेतन सोसाइटी की ओर से गीता विद्वान अमरजीत सिंह ने गीता की सर्वव्यापी स्वीकारोक्ति विषय पर व्याख्यान में कहा कि गीता ग्रन्थ को किसी एक धर्म विशेष से नहीं बांधा जा सकता। इस ग्रंथ में सभी समस्याओं का हल है। ये मानव को जीने का रास्ता बताती है।
भक्ति वेदांत सोसाइटी सिंगापुर के अध्यक्ष अनुकम्पन दास ने संगीतमयी गीता गीत कार्यक्रम की प्रस्तुति दी।
अतिथियों का स्वागत गीता शोध संस्थान के निदेशक प्रो. दिनेश खन्ना और ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा. उमेश चंद्र शर्मा ने किया। पुरातत्वविद चंद्रू रमेश ने मथुरा के पुरातत्व संपदा के उत्खनन कराए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। जयंती के प्रथम दिवस का संयोजन व समन्वयन गीता शोध संस्थान के समन्वयक चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार का रहा।
मोक्षदा एकादशी के उपलक्ष्य में दूसरे दिन श्री गीता-एक अध्यात्मिक विज्ञान विषय पर संगोष्ठी के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए।
श्री गीता एक अध्यात्म विज्ञान विषयक संगोष्ठी में गौरांग इंस्टीट्यूट फॉर वैदिक एजुकेशन (Give) के संस्थापक वृंदावन चंद्र दास ने गीता के गूढ रहस्यों को सरलता से समझाया। प्रारंभ में अतिथि स्वागत गीता शोध संस्थान वृंदावन के निदेशक प्रो दिनेश खन्ना ने किया। ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा उमेश चंद्र शर्मा जी ने अंत में आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में सत्यप्रकाश शर्मा, साहित्यकार कपिल देव उपाध्याय, महेश चंद्र शर्मा, मधु ठाकुर, संध्या मिश्रा आदि ने विचार व्यक्त किए।
साथ ही मुकेश व मयूर कौशिक ने गीता पर हवेली संगीत (समाज गायन) की प्रस्तुति दी। मधु ने श्रीमद्भागवत गीता का वह ग्रंथ भेंट किया जिसे हिन्दी, संस्कृत व अंग्रेजी में भावार्थ सहित पढ़ा जा सकता है।

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