Friday, December 19, 2025
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तारक सेवा संस्थान, अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान, वृंदावन शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

श्रीराम कथा आज भी अत्यंत प्रासंगिक : दयालु

-गायक एवं संगीतकार इशान घोष को मिला तन्मम साधक सम्मान-2025

वृंदावन। तारक सेवा संस्थान, वाराणसी, अन्तर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान, अयोध्या तथा वृंदावन शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय अस्मिता की संजीवनी श्री रामकथा विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह शगुन बैंक्वेट हॉल, रथयात्रा, वाराणसी में संपन्न हुआ।
संगोष्ठी का उद्‌घाटन अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन से हुआ। देश के विभिन्न भागों से संगोष्ठी में आये साहित्यकारों को अंगवस्त्र एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु (आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधी प्रशासन) राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार उ प्र ने कहा कि श्रीराम कथा आज भी अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि यह सत्य, धर्म, न्याय, प्रेम, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा जैसे शाश्वत मानवीय मूल्यों की शिक्षा देती है। जो व्यक्ति, परिवार और समाज को बेहतर बनाने में मदद करते हैं, इसके आदर्श पात्र (राम, सीता, लक्षण, हनुमान) आज भी प्रेरणास्त्रोत हैं और यह कथा हमें नैतिक मार्गदर्शन और प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य रखने का पाठ सिखाती है, जो आधुनिक जीवन की जटिलताओं में बहुत जरूरी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. बल्देव भाई शर्मा (पूर्व कुलपति, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़) ने कहा कि आज काशी विश्वनाथ की धरा पर श्रीराम का समन्वय हो रहा है। राम समन्वय का स्त्रोत है। आज हम भौतिक उन्नति कर रहे है लेकिन मनुष्यता खो रहे है। आज लोग रामायण, श्री रामचरित मानस का पाठ करते है लेकिन उसको जीवन में नहीं उतारते है। श्रीराम को केवल विचारों में न बुना जाए बल्कि उसे जीवन में उतारा जाए। संगोष्ठी में डॉ. दयानिधि मिश्र, प्रो. उदय प्रताप, प्रो उमापति दीक्षित, डॉ. राजीव द्विवेदी (निदेशक वृंदावन शोध संस्थान), डॉ. विद्योत्तमा मिश्र एवं प्रो हरिशंकर दुवे ने भी श्री राम कथा पर अपने विचार व्यक्त किए।

संगोष्ठी के प्रारंभ में गायक एवं संगीतकार इशान घोष को ‘‘तन्मम साधक सम्मान-2025 दिया गया। जिसमें अंगवस्त्रम्, मोमेंटो के साथ ग्यारह हजार रूपये की नकद राशि दी गयी। डॉ. अखिलेश मिश्र रामकिंकर को आचार्य पं. राजपति दीक्षित स्मृति सम्मान दिया गया जिसमें मोमेंटो के साथ ग्यारह हजार रुपये की नकद राशि भेंट की गयी। संगोष्ठी के दौरान चार पुस्तकों हिंदुत्व, अनसुने स्वर अनकही भक्ति, चेतना एवं मंडूक स्तवन का लोकार्पण किया गया।
समापन सत्र में ऑनलाइन माध्यम से आठ से अधिक देशों से विशिष्ट विद्वान जुड़े। इस सत्र की अध्यक्षता अखिलेश मिश्र (भारत के राजदूत, डबलिन, आयरलैंड) ने की। समापन सत्र में अमेरिका, म्यांमार, चीन, लंदन, श्रीलंका, नेपाल, एवं मलेशिया आदि देशों के वक्ताओं ने भारतीय जीवन मूल्यों में श्रीराम कथा की प्रासंगिकता एवं आवश्यकता पर चर्चा की। अतिथियों का स्वागत भाषण एवं संयोजन तारक सेवा संस्था के अध्यक्ष प्रो. उमापति दीक्षित ने किया। तारक सेवा संस्था, वाराणसी के सचिव श्रीपति दीक्षित ने आभार व्यक्त किया। संचालन राहुल अवस्थी ने किया।
इस अवसर पर प्रो अमित राय, सुमित कुमार सिंह, कमलनयन त्रिपाठी, डॉ. ज्ञानेश चंड पांडेय, संकल्प दीक्षित, विमर्ष मिश्र, डॉ. राहुल द्विवेदी, डॉ. जय सिंह, प्रीति यादव एवं दिव्या शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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