मथुरा। जनपद न्यायालय मथुरा परिवार के कुछ सदस्यों के घर में घटित दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से आहत होते हुए माननीय जनपद न्यायाधीश साधना रानी ठाकुर के परामर्श से 29 सितंबर को सायं चार बजे से जनपद न्यायालय मथुरा में, वर्तमान दौर को देखते हुए एक कार्यक्रम “माता-पिता व उनके बच्चों के मनोविज्ञान व उनके मध्य का रिश्ता” का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जनपद न्यायालय मथुरा के समस्त न्यायिक अधिकारीगण व कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
अभिभावकों व उनके बच्चों के रिश्ते से जुड़ी समस्याओं को दूर करना तथा समय परिवर्तन के साथ कैसे हमें इस रिश्ते में अपनी भूमिका को सुदृढ़ व परिवर्तित करना है, इस विषय पर प्रकाश डालने हेतु जीएलए यूनिवर्सिटी मथुरा के विधि विभाग के डीन डॉ अविनाश दधीचि व जिला अस्पताल मथुरा की मनोरोग चिकित्सक परामर्शदाता नीतू सिंह उपस्थित रहीं।
आयोजित कार्यक्रम में अभिभावकों व उनके बच्चों के मनोविज्ञान हुआ उनके मध्य के रिश्ते के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार किया गया। उपस्थित वक्ताओं द्वारा प्रत्येक उम्र के बच्चों से किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए, इस विषय पर जानकारी दी गई। साथ ही साथ यह बताया गया कि बदलते दौर में यह अति आवश्यक है कि हम अपने बच्चों से लगातार बातचीत करते रहें। हमको अपने बच्चों द्वारा कही जा रही बात को पूर्ण रूप से सुनना चाहिए, अपना अधिक से अधिक समय बच्चों को देना चाहिए, हमें अपने बच्चों के साथ प्रतिदिन हल्के-फुल्के पल बिताने चाहिए, अपने एवं उनके जीवन में होने वाली घटनाओं पर आपस में चर्चा करनी चाहिए, बच्चों द्वारा किए जा रहे सभी क्रियाकलापों पर नजर रखनी चाहिए। बच्चा अगर परिवार से अलग रहता हो, गुमसुम रहता हो, चुप रहता हो, किसी से बात ना करता हो, कहीं बाहर अपने मित्रों से ना मिलने जाता हो, तो ऐसे बच्चों पर विशेष दृष्टि रखने की आवश्यक है। प्रतिदिन बच्चों के साथ खेलकूद आदि करते रहना चाहिए, बच्चों को डराना नहीं चाहिए, बच्चों से मानसिक दूरी घातक हो सकती है। बच्चे बहुत मासूम होते हैं उनको हम जैसा बोलते हैं वैसा वह सुनते हैं वैसा ही बोलते हैं और वैसा ही करते हैं।
कार्यक्रम के अंत में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा की सचिव श्रीमती दीक्षा श्री द्वारा उपस्थित अतिथियों, न्यायिक अधिकारियों व कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया गया।