हाथरस। हाथरस कांड में सीबीआई के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की भी एंट्री होगी। ईडी जातीय हिंसा भड़काने के मकसद से वेबसाइट बनाकर दुष्प्रचार किए जाने के संबंध में हाथरस पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर की जांच कर रहा है। वह इस संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज करने की तैयारी में है।
पुलिस की एफआईआर धारा 153 ए आदि के तहत है जो पीएमएलए के तहत अपराध है और इस अपराध को करने से एकत्र किए गए धन को ईडी जब्त कर सकता है। ऐसे मामलों में धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत सात साल की सजा का प्रावधान है। ईडी विदेशी पूछताछ के माध्यम से डोमेन सर्वरों से भी धन एकत्र करने और उसके उपयोग के बारे में पूछेगा। ईडी इस वेबसाइट द्वारा एकत्रित धन के अंतिम लाभार्थियों की भी जांच करेगा। सेवा प्रदाता से उस वेबसाइट के बारे में पूछताछ की जाएगी, जिसने इस पृष्ठ को होस्ट किया है क्योंकि उसे अनिवार्य रूप से आईपी पता रिकॉर्ड होना चाहिए जहां से वेब पेज लॉन्च किया गया था।
बता दें कि हाथरस में 14 सितंबर को दलित युवती के साथ कथित रूप से सामूहिक बलात्कार का मामला सामने आया। पिछले मंगलवार को उसकी दिल्ली के एक अस्पताल में मौत हो गई। गत बुधवार को उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। रात में जबरन अंतिम संस्कार कराये जाने का विपक्षी दलों ने आरोप लगाया। तब से इस मामले ने तूल पकड़ लिया है।
बढते विरोध के चलते हुई एसआईटी जांच
विरोध बढ़ता देख सरकार ने एसआईटी जांच बिठा दी। शुक्रवार की शाम चार बजे तीन सदस्यीय एसआईटी ने मामले में अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी। शुरुआती जांच में लापरवाही पाए जाने के बाद यूपी सरकार ने हाथरस पुलिस अधीक्षक, सीओ, इलाके के इंस्पेक्टर सहित अन्य अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने हाथरस कांड में सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है।
वेबसाइट पुलिस के निशाने पर
हाथरस कांड के बाद विरोध प्रदर्शन के लिए लोगों को उकसाने के मकसद से बनाई गईं वेबसाइट्स पुलिस के निशाने पर हैं। इसमें ‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम’ नाम से बनाई गई वेबसाइट की भूमिका तलाशने में कई एजेंसियां लगी हुई हैं।
पुलिस का दावा- रची गई थी जातीय हिंसा भड़काने की साजिश
हाथरस कांड को लेकर बनीं वेबसाइट्स की भूमिका के कारण आधार पर पुलिस यह दावा कर रही है कि सीएए विरोधी प्रदर्शनों की तर्ज पर हाथरस कांड के बहाने प्रदेश में जातीय हिंसा भड़काने की साजिश रची गई थी। ‘जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम’ के नाम से रातों रात बनाई गई वेबसाइट ने अधिक से अधिक संख्या में लोगों को इससे जोड़ने का अभियान चलाया।