Tuesday, September 23, 2025
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डॉ. रमाकांत बघेल ने म्यूजिक रिकमेंडेशन मोशन सेंसर का पेटेंट कराया

  • यह नवोन्मेष इंटरनेट ऑफ थिंग्स के क्षेत्र में नया आविष्कार
  • आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल ने दी बधाई 

मथुरा। ब्रज मण्डल में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाले जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट मथुरा के एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष संगणक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी डॉ. रमाकांत बघेल ने म्यूजिक रिकमेंडेशन मोशन सेंसर ऑन मोबाइल डिवाइस का पेटेंट कराया है। यह नवोन्मेष इंटरनेट ऑफ थिंग्स अर्थात आईओटी एवं मशीन लर्निंग के क्षेत्र में एक नया आविष्कार है। डॉ. बघेल मशीन लर्निंग, आईओटी एवं अन्य अत्याधुनिक तकनीकों पर भी पेटेंट कराने पर काम कर रहे हैं।
ज्ञातव्य है कि आज के समय में अधिकांश इंजीनियर, वैज्ञानिक तथा व्यापारिक संस्थान अपने बिजनेस आइडियाज, उत्पादों और सेवाओं की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए उनका पेटेंट जरूर कराते हैं ताकि उनके नवोन्मेष की नकल दूसरा कोई न कर पाए। हाल ही जी.एल. बजाज के प्राध्यापक डॉ. रमाकांत बघेल ने म्यूजिक रिकमेंडेशन मोशन सेंसर ऑन मोबाइल डिवाइस यूजिंग इंटरनेट ऑफ थिंग्स आईओटी टेक्नोलॉजी पर एक पेटेंट कराया है। अपने पेटेंट पर डॉ. बघेल का कहना है कि इस नवोन्मेष द्वारा हम व्यक्ति के बायोमेट्रिक अर्थात व्यक्ति की शारीरिक गतिविधियों के आधार पर म्यूजिक रिकमेंड कर सकते हैं। इस नवोन्मेष में कम से कम एक सेंसर का उपयोग किया जाएगा जो व्यक्ति की शारीरिक दशा के डाटा को कलेक्ट करेगा तथा उसके अनुसार उपयोगकर्ता को संगीत उपलब्ध कराएगा।
इस पेटेंट पर डॉ. बघेल और उनकी टीम पिछले तीन साल से काम कर रही थी। इसका पेटेंट एप्लीकेशन नम्बर 2020/ 1103/ 4751 है जोकि पेटेंट कार्यालय शासकीय जनरल द्वारा 18 सितम्बर, 2020 को निर्गमन संख्या 38/2020 में प्रकाशित किया गया है। डॉ. रमाकांत ने बताया कि वह अपने सहयोगियों के साथ मशीन लर्निंग, आईओटी एवं अत्याधुनिक तकनीकों पर भी पेटेंट कराने की कोशिश कर रहे हैं। डॉ. बघेल ने कहा कि मेरे मौजूदा नवोन्मेष में जीएल बजाज ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट मथुरा के सभी पदाधिकारियों का भी सहयोग रहा।
आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल, उपाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल तथा संस्थान की निदेशक डॉ. नीता अवस्थी ने इस उपलब्धि के लिए डॉ. रमाकांत बघेल को बधाई दी। डॉ. अग्रवाल ने कहा कि पेटेंट की प्रक्रिया खर्चीली होती है लिहाजा किसी उत्पाद का पेटेंट कराने से पहले हमें बाजार की रुचि का आकलन जरूर कर लेना चाहिए।

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