मथुरा। श्रीकृष्ण भूमि की संपूर्ण जमीन को लेकर लखनऊ की महिला अधिवक्ता द्वारा मथुरा न्यायालय में की गई अपील कोर्ट ने स्वीकर कर ली है। जिला जज ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलील सुनने के बाद प्रतिवादी 4 पक्षों को नोटिस जारी किए हैं। इस केस की अगली सुनवाई अब 18 नवंबर को की जाएगी। अपीलकर्ता अधिवक्ता ने कोर्ट द्वारा अपील के स्वीकार लेने को श्रीकृष्ण जन्म भूमि के संपूर्ण अधिकार को लेकर पहली जीत बताया।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि के संपूर्ण मालिकाना हक को लेकर याचिकाकर्ता लखनऊ की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री सहित 8 पक्षकारों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने जिला जज कोर्ट में आज दलील पेश की। करीब एक घंटे दलील सुनने और दस्तावेजो का अवलोकन करने के पश्चात डीजे साधना रानी ठाकुर ने याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिकाकर्ताओं द्वारा बनाए गए चार प्रतिवादी पक्ष उत्तरप्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, ट्रस्ट शाही मस्जिद इदगाह की प्रबंध समिति, श्रीकृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट एवं श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा संस्थान को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने इस केस की अगली सुनवाई की तारीख 18 नवंबर निर्धारित की है।
याचिककर्ता के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर यह उनकी पहली जीत है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता श्रीजैन ने 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका की थी। जिसमें श्रीकृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी सहित चार को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया था। अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट से मांग की गई है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान की पूर्व में ईदगाह मस्जिद को दी गई जमीन वापस की जाए। सन 1967 में हुए समझौता और उसके आधार की गई डिक्री को समाप्त किया जाए। क्यों की वह समझौता और डिक्री गलत हैं। इस मामले में 30 सितंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा ने दस्तावेज पूरे न होने पर अधिवक्ताओं की याचिका खारिज कर दिया था।