- धार्मिक पर्यटन की बड़ा केन्द्र बंद होने से एक लाख लोगों के सामने आर्थिक संकट
- प्रतिदिन बांकेबिहारी के दर्शन सामान्य दिनों में आते हैं 30 हजार भक्तजन
वृंदावन। सुप्रसिद्ध बाँकेबिहारी मंदिर के पिछले सात माह से बंद होने से तीर्थनगरी वृंदावन की अर्थ व्यवस्था पूरी तरह ठप्प हो गई है। सैकड़ों दुकानदार, फूलमाली, नाविक जहां तक हजारों ई रिक्शा चालकों की आमदनी बंद होने के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहा है। वृंदावन का आम जन कराह उठा है। इसके बावजूद मंदिर प्रबंधन देशभर के भक्तों के साथ वृंदावनवासियों की अनदेखी कर रहा है।
वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर में देश-विदेश से 25 से 30 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन करने के लिए आते हैं। शनिवार और रविवार को श्रद्धालुओं की संख्या बढकर दोगुनी हो जाती है। मंदिर में प्रभु दर्शन करने के लिए आने वाले भक्त प्रसाद, फूलमाला, दीपक, पोशाक लेने के साथ ही लस्सी पीेने के साथ मिठाई खरीदते हैं। इसके अलावा होटल में ठहरने और यात्रा करने के साधन का भी वह सहारा लेते हैं।
धार्मिक पर्यटन के बड़े हब के रुप में वृंदावन मेंं करीब 300 मिठाई की दुकानें, 1500 ई रिक्शा चालक, 200 होटल, रेस्टोंरेंट, 700 पोशाक एवं श्रृंगार की दुकानें आदि की दुकानें हैं। इनमें प्रतिदिन लगभग 200 करोड़ रुपए का प्रतिदिन का बाजार है। एक लाख लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से व्यापार से जुड़ा हुआ है। इसमें स्थानीय लोगों के साथ देश के विभिन्न राज्यों से भी आकर यहां अपने अपने और अपने परिवार का भरणपोषण कर रहे हैं।
नगर उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के नगर अध्यक्ष आलोक बंसल ने नियो न्यूज को बताया कि बांकेबिहारी मंदिर से ही वृंदावन ही नहीं आसपास के क्षेत्रों के हजारों लोगों की अर्थ व्यवस्था निर्भर है। काबिलेगौर बात यह है कि देश के अधिकांश बड़े और छोटे मंदिर आम भक्तों के लिए कोविड-19 को देखते हुए गृह मंत्रालय की गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए खोले जा रहे हैं, लेकिन बाँकेबिहारी मंदिर ही आखिर क्यों नहीं खोला जा रहा है। मंदिर खोलने में बांकेबिहारी मंदिर प्रबध्ांन क्यों कमजोर है? इस मामले में शासन और प्रशासन को हस्तक्षेप करना चाहिए और मंदिर खुलवाना चाहिए।
बाँकेबिहारी व्यापार एसोसिएशन के अध्यक्ष शिवा गौतम का कहना है कि बांकेबिहारी मंदिर के बंद होने से व्यापार पिछले सात माह से पूरी तरह बंद है। नगर में रहने वाले व्यापारी, तीर्थ पुरोहित, नाविक, फ्ूल विक्रेता, होटल, रेस्टोरेंट संचालक, ई रिक् शा चालक, कारीगर, संगीताचार्य, पोशाक व्यापारी आदि मंदिर एवं धार्मिकता से जुड़ी वस्तुओं को विके्रता सभी आर्थिक रुप से परेशान है। सरकार द्वारा वृंदावनवासियों की अनदेखी की जा रही है। जनप्रतिनिधि भी नगरवासियों की समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं। यही कारण है कि देश के अधिकांश मंदिर खुलने के बाद भी बांकेबिहारी मंदिर नहीं खुल रहा है।
कहीं ऐसा न हो कि सरकार मंदिर अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरु कर दे: महेश पाठक
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पाठक ने कहा कि वृंदावन का आर्थिक आधार तीर्थ यात्री है, दूसरा कोई व्यवसाय वहां नहीं है। उन्होंने कहा कि देशभर से आए श्रद्धालुओं को दो दिन दर्शन मिले और फिर दर्शन बंद हो जाए यह पीड़ा का विषय है। सुदूर क्षेत्रों से आस्था लेकर भक्त प्रभु दर्शन के लिए आते हैं। इस बीच मंदिर के गोस्वामी और प्रबंधन के बीच आपसी विवाद होने पर मंदिर के पट हो जाए यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कि मंदिर के गोस्वामी और प्रबंधन ऐसा कोई मौका न दें कि मंदिर के अधिग्रहण की प्रक्रिया सरकार द्वारा शुरु हो जाए।
श्री बाँकेबिहारी से चलती है वृंदावन की आर्थिक व्यवस्था: प्रदीप माथुर
पूर्व विधायक प्रदीप माथुर का कहना है कि बाँकेबिहारी के बिना पूरा ब्रज और वृंदावन अधूरा है। बड़ी मुश्किलों से बांकेबिहारी के दर्शन खुले। विवाद और श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण प्रशासन और मंदिर प्रबंधन ने बांकेबिहारी मंदिर को बंद कर दिया है। इससे लाखों तीर्थ यात्रियों की भावना को ठेस पहुंची है। लॉकडाउन में यह सिद्ध हो चुका है कि श्रीबाँकेबिहारी की वजह से ही वृंदावन की आर्थिक स्थिति चलती है। उन्होंने जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन से मांग की है कि वह कोई बीच का रास्ता निकालकर बांकेबिहारी मंदिर को खोला जाए। जिससे कि बांकेबिहारीजी की कृपा से धार्मिक पर्यटन और सबकी जीविका चलती रहे।
इन पर पड़ा बांकेबिहारी मंदिर बंद होने से सीधा प्रभाव
बांकेबिहारी मंदिर के गोस्वामी, तीर्थ पुरोहित, मिठाई विके्रता, फूलमाला विक्रेता, कुम्हार, पोशाक, श्रृंगार विके्रता, कारीगर, दुकानदार, नाविक, ई रिक्शा चालक, ट्रैवल एजेंसी, होटल, रेंस्टोरेंट, दूध व्यापारी आदि हैं।