- सांकेतिक हड़ताल में सभी न्यायिक कार्य नहीं होंगे
- सभा के सदस्योें ने माना जनपद न्यायाधीश प्रशासनिक क्षमता का अभाव
- मजिस्टे्रट के स्थानान्तरण पर विदाई समारोह न करने लिया फैसला
मथुरा। बुधवार को बार एसोसिएशन ने दो मजिस्टे्रटों पर कई गंभीर आरोप लगाए और न्यायिक व्यवस्था की घोर भत्र्सना की है। एसोसिएशन की कार्यकारिणी ने बार के अध्यक्ष सुशील शर्मा की अध्यक्षता में बौहरे कन्हैया लाल हॉल में बैठक की, जिसमें अधिवक्ताओं ने वर्तमान न्याय व्यवस्था पर विचार व्यक्त किए। ऐसा मामला मथुरा में पहली बार देखने में आया है कि दो न्यायिक मजिस्ट्रेट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए बार एसोसिएशन ने उनकी भत्र्सना की है।

बुधवार शाम करीब साढे तीन बजे बार एसोसिएशन के सभी सदस्यों द्वारा न्यायालय के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट पीठासीन अधिकारी अंजू राजपूत एवं न्यायालय अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम पीठासीन अधिकारी दीप्ती यादव पर आरोप लगाया है कि वह दैनिक रुप से न्यायालय में अनियमित रुप से किए जाने वाले वाले कार्यों जैसे न्यायालय कक्ष में न बैठना, प्रकीर्ण प्रार्थना पत्रों पर कोई सुनवाई न करना, सामान्य रुप से अधिवक्ता के साथ दुव्र्यवहार करना की निंदा की है
इतना नहीं एसोसिएशन के सदस्य तीन नवंबर 2020 को कोतवाली पुलिस द्वारा मथुरा बार के अधिवक्ता राधाकिशोर कौशिक को गिरफ्तार कर अति विलम्ब से न्यायालय में प्रस्तुत करने के समय में दण्ज्ञ प्रक्रिया संहिता के नियमों को ताक पर रखकर न्यायिक रिमांड देना और सभी तथ्यों को सुनने के उपरांत अन्ततिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त कर देने से आहत हैं। सभी सदस्यों ने न्यायिक व्यवस्था की घोर भत्र्सना करते हुए अपने-अपने विचार व्यक्त किए हैं।

कार्यकारिणी सभा के सभी सदस्यों ने एक मत से यह भी कहा कि अधिवक्ता को गलत प्रकार से फंसाकर उसके घर परन निकट संबंधी कोई सूचना तक नहीं दी और उसको पुलिस हिरासत में लेकर ऐसे अपराध में जेल भेज दिया जो अपराध उसके विरुद्ध बनता ही नहीं। इस कारण पुलिस प्रशासन की कार्यशैली से क्षुब्द होकर एक दिन के सांकेतिक हड़ताल की मांग की और उपरोक्त अधिकारियों के न्यायालय के कार्य से विरत होने का प्रस्ताव रखा।

सभी सदस्यों ने जनपद न्यायाधीश प्रशासनिक क्षमता का अभाव मानते हुए तथा अधीनस्थ न्यायिक अधिकारियों की कार्य क्षमता के अभाव एवं उनपर कोई नियंत्रण ने रख सकने के कारण, स्थानान्तरण पर सार्वजनिक रुप से विदाई समारोह न करने का प्रस्ताव रखा है।सभी कार्यकारिणी सदस्यों ने एक मत से ये निर्णय लिया है कि गुरुवार पांच नवंबर को समस्त अधिवक्ता समाज सांकेतिक हड़ताल पर रहते हुए कोई न्यायिक कार्य नहीं करेंगे।