जी.एल. बजाज में अंडरस्टैंडिंग पेटेंट पर वेबिनार आयोजित
मथुरा। आपका एक मामूली-सा आइडिया भी अगर यूनिक है, तो वह न केवल आपकी जिन्दगी बदल सकता है बल्कि दुनिया में आपकी पहचान भी बना सकता है। जरूरत है बस इस पर थोड़ी मेहनत करने और उसका पेटेंट अपने नाम कराने की। यह बातें बुधवार को जी.एल. बजाज ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस मथुरा द्वारा आयोजित आनलाइन वेबिनार में डॉ. श्वेता सिंह, संस्थापक, सीईओ, एनोबल आईपी एण्ड वूमेन इनोवेशन, एंटरप्रेन्योर फाउंडेशन ने छात्र-छात्राओं को बताईं।
अंडरस्टैंडिंग पेटेंट पर अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. श्वेता सिंह ने छात्र-छात्राओं को बताया कि दुनिया के विकसित देशों में लोग खिलौने यहां तक कि किचन में इस्तेमाल होने वाली मल्टीपरपज छुरी के डिजाइन तक को पेटेंट कराते हैं और उसका लाइसेंस किसी कम्पनी को बेचकर पैसा कमाते हैं। दूसरी ओर भारत में पेटेंट प्रोसेस को लेकर अब भी जागरूकता की काफी कमी है। यही वजह है कि हमारे युवाओं में आइडिया होते हुए भी वह पहचान नहीं बना पाते। उन्होंने कहा कि पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट और ट्रेड सीक्रेट, ये सब ‘इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी’ यानी बौद्धिक सम्पदा के तहत आते हैं। उन्होंने कहा कि इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी कल्पना को हकीकत में तब्दील करता है। इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी भी वैसे ही एक सम्पत्ति है, जैसे कि आपका घर, गाड़ी और यहां तक कि आपका बैंक अकाउंट। दूसरी सम्पत्तियों की तरह ही इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी को भी चोरी या गलत इस्तेमाल से बचाने की जरूरत होती है, तभी आप इससे फायदा उठा सकते हैं।
डॉ. श्वेता सिंह ने बताया कि कुछ लोग पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क में कन्फ्यूज हो जाते हैं। इनमें कुछ समानता हो सकती है लेकिन ये अलग-अलग हैं और इनका उद्देश्य भी अलग होता है। उन्होंने कहा कि ट्रेडमार्क किसी भी प्रॉडक्ट या सर्विस की अलग पहचान बताने वाले शब्दों, नाम, सिम्बल, आवाज या रंग को प्रोटेक्ट करता है। पेटेंट से अलग, ट्रेडमार्क को हमेशा के लिए रजिस्टर कराया जा सकता। यह तब तक वैलीड रहता है, जब तक कि इसका इस्तेमाल बिजनेस के लिए होता रहे।
डॉ. श्वेता सिंह ने अपने व्याख्यान में छात्र-छात्राओं को पेटेंट और उसके महत्व, पेटेंट कराने की प्रक्रिया, रणनीतियों का प्रारूपण, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, डिजाइन पेटेंट, औद्योगिक डिजाइन और इसकी अवधि के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी डॉ. श्वेता सिंह के काम की सराहना कर चुके हैं। डॉ. श्वेता सिंह पहली पीढ़ी की उद्यमी हैं। चार कम्पनियों का सफल संचालन करने के साथ ही हाल ही में इन्होंने भारतीय अनुसंधान और नवाचार परिषद की शुरुआत की है। इन्हें पेटेंट अनुसंधान और विश्लेषण, पेटेंट मसौदा, परिदृश्य और व्हाट्सएप विश्लेषण, आईपी व्यावसायीकरण, देय परिश्रम, पोर्टफोलियो प्रबंधन और प्रौद्योगिकी मानकों में विशेषज्ञता हासिल है। संस्थान की निदेशक डॉ. नीता अवस्थी ने वक्ता डॉ. श्वेता सिंह का आभार माना।