नई दिल्ली। तीन नवीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के बीच प्रदर्शनकारियों ने चक्का जाम किया। प्रदर्शनकारी किसानों ने पलवल हाईवे को जाम कर दिया है। इसके अलावा किसानों का दिल्ली की सीमाओं पर 73 दिन बीत जाने के बाद भी धरना प्रदर्शन जारी है।
आंदोलनरत किसानों की दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को छोड़कर समूचे देश में राजमार्गों पर चक्का जाम करने की योजना है। ‘चक्का जाम’ के मद्देनजर दिल्ली के बॉर्डरों पर सुरक्षा व्यवस्था सख्त की गई है। दिल्ली में चक्का जाम नहीं होने के बावजूद करीब 50,000 जवानों की तैनाती दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख मार्गांे पर की गई है।

समाचार एजेंसियों के मुताबिक, शुक्रवार को संसद में कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान संघों और उनका समर्थन करने वालों में से कोई भी नये कृषि कानूनों में खामियां निकालने में सक्षम नहीं रहा है। कृषि कानूनों का विरोध करने वाले यह बताने को इच्छुक नहीं हैं कि इन ‘काले कानूनों’ में ‘काला’ क्या है, जिसमें सरकार सुधार करे।

वहीं, दूसरी ओर विपक्षी दलों ने नए सिरे से कानून बनाने की मांग की और कांग्रेस के एक सांसद ने मौजूदा कानूनों को किसानों के लिए ‘मौत का फरमान’ बताया. कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने नये कृषि कानूनों को किसानों के लिए ‘‘मौत का फरमान” बताया। उन्होंने प्रदर्शन स्थलों पर बनाए गए अवरोधकों की तुलना ‘बर्लिन की दीवार’ से की, जिसका निर्माण देश (जर्मनी) को बांटने के लिए किया गया था।