Saturday, May 4, 2024
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जानिए होली का शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व के साथ पौराणिक कथा

रंगों का पर्व होली आज और कल मनाया जा रहा है। होलिका दहन आज रात को और खेली कल जाएगी। बाजार से लेकर घरों तक होली रौनक छाई हुई है। तिराहे चौराहों पर अनेक प्रकार के रंगों से रंगोली सजाई जा रही है। वहीं होलिका के साथ भक्त प्रहलाद विराजमान किए हैं। महिलाएं पूर्ण श्रद्धाभाव से पूजन कर रही हैं। रात्रि को शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाएगा।


यूं तो होली एक पारंपरिक और सांस्कृतिक हिंदू त्योहार है, लेकिन इसे इसे एकता और प्यार का प्रतीक भी माना जाता है। ये सबसे गले मिलने का, सबको गले लगाने का, गिले-शिकवे मिटाने का त्योहार है। इसलिए जीवन को रंगीन बनाने वाले इस पर्व को रंग महोत्सव भी कहा जाता है। वैसे परंपरागत रुप से होली को बुराई पर अच्छाई की जीत, और भक्त के भगवान पर विश्वास की जीत के जश्न के तौर पर मनाया जाता जाता है।

होलिका का मुहूर्त


पूर्णिमा तिथि: मार्च 28, 03:27 बजे से मार्च 29, 00:17 बजे तक

होलिका दहन : रविवार, 28 मार्च 2021

होलिका दहन मुहूर्त: शाम 18:37 बजे से रात्रि 20:56 तक

ऐसे करें होली पूजन

होलिका दहन से पहले होली पूजन का विशेष विधान है। इस दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद होलिका पूजन वाले स्थान में जाए औप पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके बैठ जाएं। इसके बाद पूजन में गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं बनाए। इसके साथ ही रोली, अक्षत, फूल, कच्चा सूत, हल्दी, मूंग, मीठे बताशे, गुलाल, रंग, सात प्रकार के अनाज, गेंहू की बालियां, होली पर बनने वाले पकवान, कच्चा सूत, एक लोटा जल मिष्ठान आदि के साथ होलिका का पूजन किया जाता है। इसके साथ ही भगवान नरसिंह की पूजा भी करनी चाहिए।
होलिका पूजा के बाद होली की परिक्रमा करनी चाहिए और होली में जौ या गेहूं की बाली, चना, मूंग, चावल, नारियल, गन्ना, बताशे आदि चीज़ें डालनी चाहिए।

ज्योतिष में क्या है महत्व

हिंदू पंचांग के मुताबिक इस बार होली के दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी बन रहा है। वहीं इस दिन अमृतसिद्धि योग भी रहने वाला है। साथ ही इस दिन ध्रुव योग का भी निर्माण हो रहा है। ज्योतिष के मुताबिक ये बहुत ही दुर्लभ योग है और इस दिन पूजा-पाठ या मंत्र-पाठ से सभी मनोकामना पूरी हो सकती है।

होली की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार जब दानवराज हिरण्यकश्यप ने देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद सिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य की पूजा नहीं करता, और उन्हें ही सबसे शक्तिशाली मानता है, तो उसने गुस्से में उसे सजा देने की ठानी। उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए; ताकि प्रह्लाद जलकर भस्म हो जाए। होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुकसान नहीं पहुँचा सकती, इसलिए वो इसकेलिए तैयार हो गई। लेकिन जब अग्नि प्रज्जवलित हुई, तो भगवान विष्णु की कृपा से होलिका ही जलकर भस्म हो गयी, जबकि भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन किया जाता है। भगवान अपने सच्चे भक्त की हमेशा रक्षा करते हैं।

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