आगरा। ताजनगरी आगरा के सीनियर डाक्टर उमाकांत गुप्ता का अपहरण फिल्मी स्टाइल में हुआ। इस अपहरण की योजना बदमाशों द्वारा एक माह पहले बनाई गई थी। लेकिन डॉक्टर की हिम्मत और पुलिस की कॉबिंग के आगे बदमाशों के मंसूबों पर पानी फिर गया और उन्हें डॉक्टर को छोड़ कर जाना पड़ा। सीनियर डाक्टर उमाकांत गुप्ता की आंखों में उन 30 घंटे का खौफ अभी भी हैै। बीहड़ में गुजारे समय को याद करके वो सिहर उठते हैं। वह बताते हैं कि अगर दो-तीन दिन वह बदमाशों के चंगुल में रहते तो वह वैसे ही मर जाता। वह बार-बार धौलपुर और आगरा पुलिस का धन्यवाद करते नहीं थक रहे। उन्होंने अपनी आपबीती को बयां की।

बदमाशों के चंगुल से छूटे डा. उमाकांत ने सुनाई अपहरण की कहानी
”एक माह पहले एक युवती हास्पीटल आई थी। उसने अपना नाम अंजलि बताया था। एक युवक था, जिसे वो अपना भाई बता रही थी और उसकी पथरी का आपरेशन कराना था। मेरे हॉस्पिटल में उस युवक का आपरेशन हुआ। इसके बाद से युवती ने करीब 15 दिन पहले उनसे अपने भाई की दवा के लिए संपर्क किया। तब से वो किसी न किसी तरह बात करने लगी। वह अपने आप को विधवा बताते हुए हास्पिटल में नौकरी भी मांगती थी। 13 जुलाई को कोई बात करने के लिए मुझे भगवान टाकीज़ बुलाया था। मैं वहां से जा रहा था तो सोचा उससे मिल लूं। रात करीब साढे़ आठ बजे भगवान टाकीज़ पर वह मेरी गाड़ी में बैठी। गाड़ी में बैठते ही उसने कहा कि डॉक्टर तुम मुसीबत में फंस गए हो। यकीन न आए तो पीछे देखो। पीछे दो बाइक पर चार लोग थे। इसके बाद उसने कहा कि जहां मैं कहती हूं, वहां गाड़ी ले चलो। डाक्टर ने बताया कि रोहता पर जाकर एक सुनसान जगह उसने गाड़ी रुकवाई। वहां वो युवती गाड़ी से उतर गई और चार बदमाश गाड़ी में बैठ गए। बदमाशों ने तमंचा दिखाकर उन्हें कार में पीछे सीट के नीचे लिटा दिया। आंख पर पट्टी बांध दी और ऊपर पैर रखकर बैठ गए। इसके बाद वो युवती बाइक पर बैठकर निकल गई। करीब एक घंटा गाड़ी कच्चे रास्ते से गुजर कर धौलपुर में रुकी। यहां पर बदमाशों ने उन्हें गाड़ी से उतारा और बाइक से एक गांव में ले गए। वहां, उन सब लोगों ने खाना खाया और शराब पी। इसके बाद वो करीब तीन किलोमीटर उन्हें पैदल-पैदल बीहड़ में ले गए। एक बदमाश ने गाड़ी में बैठते ही उन्हें तीन-चार थप्पड़ मारे।
ऐसे में उन्होंने बताया कि उनकी तीन माह पहले बाइपास सर्जरी हुई है। इस पर बदमाशों ने उन्हें फिर नहीं मारा। वो बार-बार पांच करोड़ रुपये फिरौती की बात कह रहे थे। फिरौती न मिलने पर जान से मारने की धमकी दे रहे थे। इससे वो बहुत घबरा गए थे। बदमाश रात को डाक्टर को चंबल के बीहड़ में ले गए थे। वहां उनके हाथ बांधकर उन्हें खेत में डाल दिया। खेत में चार-पांच हथियार बंद बदमाश उनकी निगरानी के लिए लगा दिए थे। सुबह होते ही उन्हें खेत से उठाकर बीहड़ के खादर में डाल दिया। वो पूरे दिन धूप में पड़े रहे। बदमाशों ने उन्हें खाने के लिए कोल्ड ड्रिंक, पनीर की सब्जी और रोटी दी थी, लेकिन उन्होंने कुछ खाया नहीं। बुधवार सात बजे बदमाशों के पास आए और कहा कि पुलिस का बहुत दबाव है। डाक्टर को छोड़ना होगा। अगर ये मर गया तो हम फंस जाएंगे। इसके बाद उन्होंने कहा कि हम तुम्हें छोड़ रहे हैं। बस तुम पुलिस को कुछ नहीं बताओगे। इतना कहने के बाद वो करीब आठ बजे वहां से चले गए।”
दूसरे गैंग को सौपने की बात कहकर चले गए बदमाश
इसके बाद वह एक व्यक्ति को छोड़ गए। उस व्यक्ति ने कहा कि अब तुम्हें दूसरे गैंग को सौंपना है। वो गैंग आने वाला है। ऐसे में डॉक्टर परेशान हो गए। उन्हें लगा कि अब वो नहीं बचेंगे। वह खेत में बने चबूतरे पर लेटे थे। तभी उन्हें कुछ आहट सुनाई दी। उन्हें लगा कि दूसरा गैंग आ गया। अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। कुछ हथियार बंद लोग पास आए और उनका नाम पूछा और कहा कि घबराओ मत हम पुलिस हैं। मगर, उन्हें विश्वास नहीं हुआ। तभी उनकी नजर एक पुलिस वाले की वर्दी पर पड़ी। तब उन्होंने राहत की सांस ली।”
पुलिस ने उन्हें अपनी सुरक्षा में ले लिया। तभी वहां पहले मौजूद बदमाश दिखा तो पुलिस ने एक हवाई फायर किया। इसके बाद वो बदमाश भाग गया। उन्होंने बताया कि राजस्थान और आगरा की टीम करीब आधे घंटे तक चंबल के खादर में लेटी रही। जब उन्होंने बदमाशों की पूरी लोकेशन ले ली, तभी वो आगे बढे़ थे। डाक्टर उमाकांत गुप्ता का हार्ट की सर्जरी हुई थी। ऐसे में पुलिस को चिंता थी कि बिना दवा के उन्हें परेशानी न हो। ऐसे में वो उनकी सभी दवा साथ लेकर गए थे। बीहड से बाहर निकले पर डाक्टर को दवाएं खिलाई गईं।