Sunday, May 5, 2024
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मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक कर बनाएं बेहतर कॅरियर : प्रो. पियूष

  • जीएलए से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने वाले छात्रों को मिल रही बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसर


मथुरा। अगर 12वीं पास छात्रों को मैकेनिज्म से लगाव है तो छात्रों के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग में कॅरियर को संवारने के तमाम अवसर मिल सकते हैं। आजकल मैकेनिकल इंजीनियर्स के लिए एविएशन इंडस्ट्री और ऑटोमेशन इंडस्ट्री में काफी स्कोप है। इसके साथ-साथ प्रोडक्शन इंडस्ट्री में भी इंजीनियर्स की काफी डिमांड है। इसी डिमांड पर बढ़ते हुए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा अपने इंजीनियरिंग छात्रों की स्किल्स और व्यक्तिगत परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए आईआईटी और एनआईटी में प्रोफेसर रह चुके एवं वहां शिक्षा प्राप्त कर चुके उत्कृष्ट शिक्षकों के माध्यम से प्रयासरत है। मैकेनिज्म के क्षेत्र में रोजगार की बढ़ती संभावनाओं के चलते 12वीं पास छात्रों का प्रवेश हेतु अच्छा रूझान देखने को मिल रहा है।


विदित रहे कि मेक इन इंडिया अभियान के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां अपने विनिर्माण संयंत्र भारत में स्थापित कर रही हैं। इसके अलावा बहुराष्ट्रीय कंपनियां ओप्पो, सेमसंग, इंडिगो, एलएच एविएशन आदि भारत में अपने मैन्युफैक्चिरिंग केन्द्र स्थापित कर रही हैं। ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग कॉम्पिटिटिवनेस इंडेक्स के अनुमान के अनुसार भारत 2022 तक मैन्युफैक्चिरिंग में 5 वें स्थान पर होगा। इसलिए भारत को और अधिक नवीन और प्रतिभाशाली मैकेनिकल इंजीनियरों की आवश्यकता है। व्यापक आबादी के लिए इंजीनियरिंग प्रथाओं और परिणामों को फिर से उन्मुख करने और आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनियां को इस क्षेत्र में समृद्ध बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली मैकेनिकल इंजीनियरिंग एक सदाबहार शाखा होने के नाते मंदी या वैश्विक आर्थिक मंदी से अधिक प्रभावित नहीं हुई।

जीएलए बीटेक मैकेनिकल के विभागाध्यक्ष प्रो. पियूष सिंघल ने बताया कि डीआरडीओ, इसरो, बीएआरसी, एचएएल, एनटीपीसी, भेल, सेल आदि जैसे कोर सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों में मैकेनिकल इंजीनियर्स की सबसे ज्यादा मांग होती है। आज भी जीएलए के अल्यूमिनाई छात्र दिनेश इसरो में साइंटिस्ट पद पर हैं। इसके अलावा पुलिस विभागा और प्रशासनिक सेवाओं के अलावा विभिन्न कोर कंपनियों में उच्च पदों पर आसीन होकर सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने ऑटोमेशन क्षेत्र में रोजगार पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस तरह ऑटोमेशन के क्षेत्र में सफेदपोश रोजगार और उद्योग के अवसर मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रों की मानसिकता बदल रही है।

अनुसंधान प्रयोगशालाएं माइक्रो-नैनो डेवलपमेंट एंड रिसर्च सेंटर, सेंटर फॉर ऑटोमोटिव रिसर्च, नैनो-फ्लूइड रिसर्च लैब, सोलर एनर्जी लैब, इंजीनियरिंग डिज़ाइन सेंटर, सीमेंस ऑटोमेशन सेटअप आदि प्रयोगशालाओं के माध्यम से दर्जनों पेटेंट पब्लिश और ग्रांट हो चुके हैं। छात्रों के द्वारा एक्वा एयर फ्क्चिर फॉर फ्रिकशन स्टिर वेल्डिंग, गाइड बेडिंग मशीन, ट्रेडमिल इलेक्ट्रिक साइकिल, अल्ट्रासोनिक फिंगर प्रिंट पेडलॉक, टूलकिट फॉर कम्प्यूटेशन एंड एमपावरमेंट, फोर व्हील स्टेयरिंग मैकेनिज्म आदि प्रोटोटाइप छात्रों ने तैयार कर ग्रांट और पब्लिश कराये हैं।

एसोसिएट डीन रिसर्च प्रो. कमल शर्मा ने बताया कि मैकेनिकल विभाग अपने छात्रों को विश्वस्तरीय तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न संस्थानों एमएसएमई, टुव सुड, एसवीआर इंफोटेक, एनआईएसई, एसोसिएशन विद सोसाइटी ऑफ ऑटोमेटिव इंजीनियर्स, अमेरिकन सोसायटी ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स, इंडियन सोसायटी ऑफ हीटिंग रेफ्रिजरेटिंग एंड एयर कंडीशनिंग इंजीनियर्स और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेटल्स के साथ एमओयू साइन किया हुआ है। इनके माध्यम से छात्रों को इंडस्ट्रीयल विजिट, कॉन्फ्रेंस, अतिथि व्याख्यान एवं कार्यशालाओं सहित विभिन्न स्तरों पर होने वाले कम्पटीशन प्रोग्राम में भाग लेने के अवसर मिलते हैं। इसके अलावा छात्रों को रोजगार देने के लिए टीसीई, वोल्टास, यूनो, मिंदा, जेके टायर, सीट, बोस, बीएमडब्ल्यू, टाटा स्टील, रिलाइंस, सेमेसंग, हैवी इंडस्ट्रीज आदि राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां विजिट करती हैं।

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