Friday, July 4, 2025
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यज्ञों में विघ्न डालने का सिलसिला प्राचीन काल से चला आ रहा है

विजय गुप्ता की कलम से

 मथुरा। प्राचीन काल में जब ऋषि मुनि यज्ञ किया करते थे, तब अक्सर असुर उसमें तरह-तरह से विघ्न डालकर अपना धर्म निभाया करते थे। ये कभी-कभी हवन कुंड में धूल मिट्टी कंकड़ पत्थर फेंक जाते, कभी हवन सामग्री को उलट कर बिखेर देते, कभी-कभी तो हवन करने वाले ऋषि मुनि व साधु संतों से भिड़कर उनके साथ धक्का मुक्की और हाथापाई तक कर जाते।
 कहने का मतलब है कि हर अच्छे कार्य में विघ्न डालने का सिलसिला आदिकाल से चला आ रहा है और अनादिकाल तक रहेगा। आसुरी स्वभाव के लोग हर काल में अपना कर्तव्य पूरा करते हैं। आज भी जो कुछ दृष्टिगोचर हो रहा है उससे स्पष्ट है कि देवासुर संग्राम जारी है।
 यह भी सुनिश्चित है कि विजय का सेहरा सुर पक्ष के माथे पर ही बंधेगा और असुर पक्ष हाथ मलता रह जाएगा। मेरा कहने का मतलब तो सिर्फ यह है कि "अभी भी बेटी बाप की है" यज्ञ में बाधक बनने के बजाय आहुतियां डालो और पुण्य के भागी बनो। इसी में तुम्हारी भलाई है। बोल बांके बिहारी लाल की जय
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