Tuesday, September 23, 2025
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राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में दवाओं के दुष्प्रभाव और बचाव पर हुआ मंथनअमोल राज ने फार्माकोविजिलेंस की आवश्यकता और उसकी भूमिका पर साझा किए विचार


मथुरा। राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी में पांचवें राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह के उपलक्ष्य में ‘फार्माकोविजिलेंस अनिवार्यताएं: दवा सुरक्षा निगरानी के लिए फार्मासिस्ट गाइड’ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में मुख्य वक्ता अमोल राज, नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा), युवा मामले और खेल मंत्रालय, नई दिल्ली ने फार्माकोविजिलेंस की आवश्यकता, उसकी वर्तमान भूमिका और दवाओं की सुरक्षा की निगरानी में फार्मासिस्टों की जिम्मेदारियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
श्री अमोल राज ने युवाओं को फार्मास्युटिकल क्षेत्र में बढ़ते करियर विकल्पों और दवा सुरक्षा में नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति भी जागरूक किया। उन्होंने बताया कि कैसे फार्माकोविजिलेंस के माध्यम से दवाओं के दुष्प्रभावों की निगरानी कर जनता के स्वास्थ्य की रक्षा की जा सकती है। सेमिनार में शिक्षकों, फार्मेसी क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों और छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। मुख्य वक्ता अमोल राज ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा के लिए दवाओं के दुष्प्रभावों की जानकारी देना बेहद जरूरी है। अगर किसी दवा से कोई नुकसान या परेशानी होती है तो उसकी रिपोर्टिंग करना सभी की जिम्मेदारी है। इससे मरीजों की जान बचाई जा सकती है और इलाज की गुणवत्ता भी बेहतर होगी।
मुख्य वक्ता ने बताया कि इस साल राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह 17 से 23 सितम्बर 2025 तक “आपकी सुरक्षा, बस एक क्लिक दूर: पीवीपीआई को रिपोर्ट करें” थीम के तहत मनाया जा रहा है। फार्माकोविजिलेंस का मुख्य उद्देश्य दवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना, खतरनाक दुष्प्रभावों का पता लगाना, जोखिम-लाभ अनुपात का आकलन तथा रोगी सुरक्षा व सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है। यह दवाओं के सुरक्षित उपयोग को बढ़ावा देता है और नियामकों को दवा संबंधी निर्णय लेने में सहायता करता है, जिससे दवा कम्पनियों और स्वास्थ्य प्रदाताओं का विश्वास बढ़ता है।
राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी के प्राचार्य डॉ. हिमांशु चोपड़ा ने सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का आभार माना और कहा कि सेमिनार का उद्देश्य फार्मासिस्टों के लिए दवा सुरक्षा से संबंधित जागरूकता बढ़ाना और फार्माकोविजिलेंस की मूलभूत बातों को समझाना था। उन्होंने बताया कि दवा, इंजेक्शन, सिरप या मलहम लेने के बाद यदि चक्कर आना, शरीर पर दाने निकलना, बार-बार उल्टी होना, बेचैनी या नींद न आना जैसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत प्रतिकूल दवा प्रतिक्रिया (एडीआर) की रिपोर्ट टोल फ्री नम्बर 1800-180-3024 या पीवीपीआई ऐप के माध्यम से कर सकते हैं। इसमें मरीज की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाता है। डॉ. चोपड़ा ने बताया कि यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि दवाओं के सम्भावित जोखिमों का पता तुरंत लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस सप्ताह के दौरान राजीव एकेडमी फॉर फार्मेसी द्वारा लोगों को दवाओं के दुष्प्रभाव और उनकी रिपोर्टिंग के महत्व के बारे में जागरूक किया गया।
आर.के. एज्यूकेशनल ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. रामकिशोर अग्रवाल तथा प्रबंध निदेशक मनोज अग्रवाल ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन विद्यार्थियों के शैक्षिक और व्यावसायिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
चित्र कैप्शनः शिक्षकों तथा छात्र-छात्राओं के दवाओं के दुष्प्रभाव और बचाव की जानकारी देते हुए अमोल राज, नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी नई दिल्ली।

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