Monday, October 13, 2025
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क्या आप जानते है, दिल्ली दंगों की कैसे हुई थी शुरुआत, जानिए

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नई दिल्ली। दिल्ली में बीते 4 दिन से हुई हिंसा में अब तक 43 लोगों की जान जा चुकी है।
नाम गोपनीय रखने की शर्त पर दो पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हमने मामले की जांच कर रही एसआईटी को जानकारी दी है कि उत्तर पूर्वी दिल्ली में ये बवाल शनिवार रात तब शुरू हुआ जब सीएए के खिलाफ विरोध कर रहे लोगों ने जाफराबाद मेन रोड को ब्लॉक कर दिया। रविवार को कपिल मिश्रा के वहां पहुंचने से मामला बढ़ गया जब उन्होंने दिल्ली पुलिस को सड़कें खाली कराने का अल्टीमेटम दे डाला और कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारतीय दौरा खत्म होने तक हम शांत हैं। उसके बाद या तो आप सड़कें खाली करवा लीजिए या हम करवा लेंगे। पुलिस के अनुसार पहला पत्थर भीम आर्मी के सदस्यों की ओर से रविवार शाम 4.42 बजे फेंका गया था। इसके बाद 100-125 भीम आर्मी सदस्यों समेत सीएए विरोधियों को सीएए समर्थकों ने दौड़ाया।
पुलिस ने भीम आर्मी के दिल्ली प्रमुख हिमांशू वालमिकी की पहचान की है और दावा है कि उसने रविवार शाम 6 बजे तक और अधिक भीड़ को जुटाया था। इसी सब के चलते मौजपुर और कर्दमपुरी में पत्थरबाजी के कई मामले सामने आ गए। भीम आर्मी ने शनिवार को जाफराबाद में सीएए के खिलाफ भारी भीड़ जुटा ली जिसमें महिलाएं भी शामिल थीं।
उधर भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विनय रतन सिंह ने सभी आरोपो को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि सीएए के विरोध में दिल्ली में अलग अलग जगह हमारे प्रदर्शन शांतिपूर्ण व सफल रहे। हमारे लोग किसी तरह की हिंसा में शामिल नहीं हुए थे। बल्कि हमें तो संदेश मिला था कि हमारे दिल्ली अध्यक्ष हिमांशू वाल्मिकी की गाड़ी जला दी गई है।

दिलचस्प जानकारी: रेलवे ने टिकट कैंसिल से ही कमा लिए 9 हजार करोड़

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नई दिल्ली। भारतीय रेलवे ने साल 2017 से 2020 के बीच टिकट कैंसिलेशन चार्जेज और वेट-लिस्टेड टिकट्स के नॉन-कैंसिलेशन से 9,000 करो़ड़ से अधिक की कमाई की है। भारतीय रेलवे ने एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी दी है। आरटीआई कार्यकर्ता सुजीत स्वामी द्वारा दायर की गई एक आरटीआई के जवाब में सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम (CRIS) ने कहा कि एक जनवरी 2017 से 31 जनवरी 2020 की तीन साल के समयावधि में साढ़े 9 करोड़ से अधिक यात्रियों के वेट-लिस्टेड टिकट्स कैंसल नहीं हुए थे। इन यात्रियों के कारण भारतीय रेलवे के राजस्व में 4,335 करोड़ का इजाफा हुआ है। वहीं, एक जनवरी 2017 से 31 जनवरी 2020 के बीच रेलवे ने कंफर्म्ड टिकट्स की कैंसिलेशन फीस से 4,684 करोड़ रुपये कमाए हैं।
इन दोनों ही मामलों में अधिकांश आय स्लीपर क्लास के टिकट्स से हुई है। इसके बाद थर्ड एसी के टिकट्स से सबसे ज्यादा आय हुई। वहीं, इंटरनेट और काउंटर्स से टिकट खरीदने वाले लोगों की संख्या में भी बड़ा भारी अंतर है। इन तीन सालों की समयावधि में करीब 145 करोड़ से अधिक यात्रियों ने इंटरनेट के जरिए टिकट्स खरीदे, जबकि 74 करोड़ से अधिक लोगों ने काउंटर्स से टिकट्स खरीदे।

आठ दिन बंद रहेंगे बैंक, अगले माह इस दिन से शुरू हो रही है छुट्टियां

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नई दिल्ली। अगले महीने अगर आपको अपने बैंकिंग कार्य निपटाने हैं, तो आपके लिए एक बेहद जरूरी खबर है। अगले महीने यानी मार्च 2020 में लगातार आठ दिनों तक बैंकिंग कार्य बाधित रहने वाले हैं।
देश में सरकारी बैंकों का कामकाज 8 मार्च से 15 मार्च तक लगातार आठ दिनों के लिए ठप रह सकता है। आइए जानते हैं कि इन आठ दिनों के दौरान किन कारणों से बैंक बंद रहने वाले हैं। आठ मार्च को रविवार है, जो कि बैंकों का छुट्टी का दिन रहता है, इसलिए इस दिन बैंक नहीं खुलेंगे। इसके बाद देश में कई जगहों पर होली की छुट्टी 9 मार्च को है, तो कई जगहों पर 10 मार्च को। काफी जगहों पर 9 व 10 मार्च को दोनों ही दिन बैंकों की छुट्टी रहेगी।
इसके बाद 11, 12 और 13 मार्च को सरकारी बैंकों की यूनियनों की अगुआई में बैंक कर्मचारी हड़ताल पर जाने वाले हैं। इसलिए इन तीनों दिन देश भर में सरकारी बैंक बंद रहेंगे। बैंकों की हड़ताल खत्म होने के बाद 14 मार्च को दूसरा शनिवार है, जिस कारण बैंक बंद रहेंगे और फिर आठवें दिन यानी 15 मार्च को रविवार होने के चलते बैंकों की छुट्टी रहेगी। इस तरह देश भर में 8 मार्च से 15 मार्च के बीच बैंकिंग कार्य बाधित रह सकते हैं।

दिल्ली में फिर हिंसा, एक और शख्स की हत्या; अब तक 43 की हो चुकी है मौत

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नई दिल्ली। बृहस्पतिवार को पूरे दिन शांति के बाद दिल्ली में फिर हिंसा का मामला सामने आया है। उपद्रवियों ने शुक्रवार सुबह 6:00 बजे शिव विहार इलाके में कूड़ा बीनने का काम करने वाले अयूब की हत्या कर दी। घटना के दौरान वह शिव विहार में सुबह 6:00 बजे कूड़ा बीन रहा था। गंभीर हालत में सुबह 9:00 बजे उसे ज़ीटीबी अस्पताल में लेकर आया गया। जहां डॉक्टरों ने उसको मृत घोषित कर दिया। इसी के साथ हिंसा में अब तक जान गंवाने वालों की संख्या 43 हो गई है।

पहाड़ों पर बर्फ, मैदानों में बढ़ी ठंड

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नई दिल्ली। उत्तर भारत में एक बार फिर बर्फबारी ने लोगों की मुश्किल बढ़ा दी है। इससे मौसम एक बार फिर बदल गया है। उत्तराखंड में जहां चारों धामों में बर्फबारी हुई है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में 28 व 29 फरवरी को भारी बारिश व ओलावृष्टि की चेतावनी दी गई है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में भी आज बारिश के संभावना जताई गई है।

चारों धाम में हुई बर्फबारी

उत्तराखंड में मौसम फिर करवट बदलने लगा है। चार धाम में चोटियों पर हिमपात हुआ तो पहाड़ से लेकर मैदान तक बादल छाए रहे। मौसम विभाग के अनुसार शुक्रवार को प्रदेश में तीन हजार मीटर की ऊंचाई तक के स्थानों पर हिमपात की संभावना है। इस दौरान निचले स्थानों में बारिश के साथ ओले भी पड़ सकते हैं। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि शुक्रवार शाम से मौसम में बदलाव की संभावना है। शनिवार को प्रदेश में कई जगह बारिश और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में 2500 मीटर की ऊंचाई तक बर्फबारी के आसार हैं। निचले इलाकों में बारिश के साथ ही ओलावृष्टि की आशंका भी है। इसका असर मैदानी इलाकों में भी नजर आएगा।

तीन तलाक के बाद अब खतना प्रथा भी बंद होनी चाहिये

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विजय कुमार गुप्ता

मथुरा। जिस प्रकार नरेन्द्र मोदी ने मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार वाली तीन तलाक की कुप्रथा को कानून बनाकर समाप्त किया है, इसी प्रकार मुस्लिम समाज के बच्चों पर भयंकर अत्याचार करने वाली खतना की कुप्रथा को भी कानून बनाकर समाप्त कर देना चाहिये।
धर्म के ठेकेदार बने कुछ कट्टर पंथी लोग धर्म की दुहाई देकर चिल्लपों जरूर करेंगे किंतु इन निरीह बच्चों पर हो रहे जघन्य अत्याचारों के बारे में भी सोचना चाहिये। क्या इन बच्चों के बाल अधिकार नहीं होते?
मुस्लिम देशों तक यह कुप्रथा समाप्त हो रही है और धर्म निरपेक्ष कहे जाने वाले हिंदुस्तान में यह बदस्तूर जारी है। ऐसा क्यों? अभी कुछ दिन पूर्व समाचार पत्रों में छपा था कि खतना प्रक्रिया के दौरान एक बच्ची की मौत हो गयी। यह कितनी शर्मनाक बात है। आखिर समझ में नहीं आता कि अपने ही कलेजे के टुकड़ों पर धर्म और मजहब के नाम पर ऐसा घनघोर अत्याचार क्यों किया जाता है?
पहले हिन्दुओं में भी सती प्रथा को धर्म से जोड़ रखा था और बेचारी अबलाओं को जबरदस्ती पति के साथ चिता में झौंक दिया जाता था। जन जागृति हुई और राजा राम मोहन राय के प्रयास रंग लाये तथा यह कुप्रथा बंद हुई।
सोचने की बात है कि ईश्वर हो या अल्लाह अथवा प्रकृति ने जिस संरचना से हमको भेजा है, इससे छेड़छाड़ करना भी अधर्म है, धर्म या मजहब नहीं। यदि हमारे बच्चों को कोई चांटा मार दे तो हम सहन नहीं कर पाते और लड़ने मरने को तैयार हो जाते हैं, वहीं दूसरी ओर हम स्वयं ही अपने बच्चों के कोमल गुप्तांगों में धारदार हथियारों से प्रहार करते हैं, क्या हमको अपने बच्चों पर तरस नहीं खाना चाहिये?
यह कुप्रथा हमारे यहां की नहीं है। यह तो अरब देशों से आई है। उन देशों जहां से यह कुप्रथा आई है, अब वहां भी यह प्रथा धीरे-धीरे समाप्त हो रही है। कहावत है कि जैसा देश वैसा वेश। बाहर से आई कुप्रथा को हमने क्यों आत्मसात कर रखा है? यहां के जो मुसलमान हैं वे अरब देशों के नहीं है, वे तो यहीं के वाशिंदे हैं। इनके पूर्वज हिंदू ही थे, उन्हें मुस्लिम आक्रांताओं ने अत्याचार करके जबरदस्ती मुसलमान बनाया है। इस बात को सभी जानते हैं।
अतः जैसा देश वैसा वेश वाली बात को आत्मसात करते हुए मुस्लिम भाईयों को और किसी के लिये न सही अपने ही कलेजे के इन मासूमों के लिये सही। इनपर रहम खाना चाहिये और इस कुप्रथा से तौबा कर लेनी चाहिये।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने नोंचा नकाब, ताहिर पर हत्या का मुकदमा दर्ज

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नई दिल्ली। आप पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने उसके चेहरे से नकाब उतार दिया है। दिल्ली के दयालपुर पुलिस थाने में हुसैन के खिलाफ धारा 302 (हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर के डीटेल्स सेक्शन में हुसैन का नाम है। दोपहर में उसकी बिल्डिंग से पेट्रोल बम, पत्थर, गुलेल और एसिड मिला था। दिल्ली में हुई हिंसा में मृतकों की संख्या 38 हो चुकी है जबकि 364 लोग घायल हुए हैं।
आम आदमी के पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन पर करावल नगर में हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के कॉन्स्टेबल अंकित शर्मा के भाई-पिता के अलावा भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ताहिर पर ही अंकित की हत्या के आरोप लगाए थे। ताहिर की करावल नगर स्थित पांच मंजिला अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग की छत पर कई क्विंटल पत्थर, एसिड और पेट्रोल बम की बोतलें और गुलेल बिखरे थे। पुलिस ने ताहिर को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वो बुधवार सुबह से ही लापता है। उसने एक वीडियो जारी कर आरोपों को खारिज किया है। बाद में कुछ टीवी चैनलों को इंटरव्यू दिया। खुद पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।

पिता की हत्या में बेटे को आजीवन कारावास

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मथुरा। छाता क्षेत्र में करीब 8 साल पूर्व हुई हत्या के मामले में आरोपी बेटे को न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास व 50 हजार के आर्थिक दंड की सजा सुनाई है।
बताते चलें कि 10 नवंबर 2012 को थाना छाता क्षेत्र स्थित एक ढावे पर एक युवक द्वारा एक वृद्ध को मारपीट कर उसके ऊपर ट्रक चढ़ा कर उसकी हत्या कर दी। लोगो की मदद से पुलिस ने युवक को पकड़ लिया।पूछताछ में युवक ने अपना नाम अभिषेक दुबे निवासी झारखंड बताते हुए कहा कि जिसे मैने मारा है।वो मेरे पिता सत्येंद्र दुबे था। पुलिस ने युवक के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई करते हुए उसे जेल भेज दिया। चार्जशीट के बाद मामला न्यायालय पहुंचा जहाँ 6 गवाह पेश हुए। सुनवाई के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायालय फास्टट्रैक द्वितीय के न्यायाधीश अमरपाल सिंह ने फैसला सुनाते हुए आरोपी बेटे को आजीवन कारावास व 50 हजार रुपये के आर्थिक दंड की सजा सुनाई।

जीएलए में इंजीनियरिंग के छात्रों से इटली की प्रोफेसर ने साझा किया तकनीकी ज्ञान

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मथुरा। जीएलए विश्वविद्यालय मथुरा के बीटेक सिविल इंजीनियरिंग विभाग में अतिथि व्याख्यान का आयोजन हुआ। नए प्रयोगात्मक अनुसंधान विषय पर आयोजित व्याख्यान में पीसा यूनिवर्सिटी इटली की प्रोफेसर डाॅ. लिंडा गिरेसिनी ने ‘‘लाइनर कंट्रोल्ड राॅकिंग डिवाइस एवं ट्रिपाॅलिजिकल राॅकिंग सिसमिक इसाॅलेशन डिवाइस‘‘ के बारे में छात्रों को जानकारी दी।
प्रोफेसर डाॅ. लिंडा गिरेसिनी ने छात्रों को बताया कि प्राचीन एवं सांस्कृतिक इमारतों को भूकंप एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षित रखने के लिए ये टेक्नोलाॅजी पीसा यूनिवर्सिटी के सहयोग से तैयार की गयी है। इस टेक्नोलाॅजी का प्रयोग समय-समय पर देखने को मिलता है। उन्होंने छात्रों को बताया कि लाइनर कंट्रोल्ड राॅकिंग डिवाइस और ट्रिपाॅलिजिकल राॅकिंग सिसमिक इसाॅलेशन डिवाइस को बड़े लम्बे समय के बाद तैयार किया गया है।
उन्होंने पीसा यूनिवर्सिटी में चल रहे प्रोजेक्ट्स ब्रिज नेटवर्क काॅलप्स एनालिसिस थू्र आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस, रेटोफिटिंग साॅल्यूशंस, इन्टरप्रिटेशन आॅफ एक्सपेरीमेंटल डिवाइस विद एनालिटिकल एण्ड न्यूमेरिकल माॅडल विषयों पर रिसर्च एवं डेवलपमेंट प्रोजेक्ट पर कार्य करने की रूप रेखा तैयार की।
उन्होंने छात्रों और शिक्षकों को शोध के बारे में बताते हुए कहा कि सिविल इंजीनियरिंग में शोध के ढे़रों अवसर प्रदान किए जा रहे हैं। साथ ही कहा कि सिविल इंजीनियरिंग में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन छात्रों को रोजगार क्षेत्र में पहुंचने के लिए नए-नए प्रोजेक्टों पर कार्य करने की अतिआवश्यकता है।
विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर गोयल ने डाॅ. लिंडा द्वारा छात्रों को दिए ज्ञान पर हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि सिविल इंजी. विभाग के भूकंप अभियांत्रिकी के क्षेत्र में अनुसंधान करने के लिए छात्रों एवं प्राध्यापकों को नई तकनीकी महत्वपूर्ण जानकारी मिली है।
इस व्याख्यान को सिविल विभाग के एमटेक स्ट्रक्चर, एमटेक ट्रांसपोरटेशन और एमबीए कंस्ट्रक्शन मैनेजमेंट के समस्त प्राध्यापक एवं छात्र उपस्थित रहे।
अंत में डीन एकेडमिक प्रो. अनूप कुमार गुप्ता एवं प्रो. सुधीर गोयल ने डाॅ. लिंडा गिरेसिनी को स्मृति चिन्ह् भेंटकर सम्मानित किया।

दिल्ली दंगों की सबसे दर्दनाक तस्वीर की कहानी

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नई दिल्ली। मोहम्मद जुबैर को उनके नाम से ज्यादा लोग नहीं पहचानते, लेकिन उनकी तस्वीर देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया ने देखी है। वह तस्वीर दिल्ली दंगे की सबसे दर्दनाक तस्वीरों में शुमार है। वह तस्वीर, जिसमें लहूलुहान होकर जमीन पर गिरे एक व्यक्ति को चारों ओर से घेरकर दंगाई लाठी-डंडों से पीट रहे हैं। दिल्ली में हुई क्रूरता का प्रतीक बनी इस तस्वीर में जो लहूलुहान होकर अधमरा पड़ा है, वे हैं 37 साल के मोहम्मद जुबैर।
बीते 19 साल से चांदबाग में रहने वाले जुबैर कूलर ठीक करने का काम करते हैं। सियासी मसलों से दूर रहने वाले जुबैर बताते हैं कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों में उन्होंने कभी हिस्सा नहीं लिया। सोमवार की सुबह वे खुश थे, क्योंकि उन्हें इज्तिमा में शामिल होने जाना था। सुबह नए कपड़े पहन दुआ के लिए कसाबपुरा की ईदगाह के लिए निकल गए। उस दिन क्या, कब और कैसे हुआ इसका बारे में विस्तार से बताते हुए ज़ुबैर कहते हैं- ‘ईदगाह में दुआ करीब साढ़े बारह बजे खत्म हुई। इसके बाद मैंने वहीं लगी दुकानों से बच्चों के लिए हलवा पराठा, दही बड़े और दो किलो संतरे खरीदे। बच्चों को सालभर इज्तिमा का इंतजार रहता है। उन्हें पता होता है कि इज्तिमा से लौटकर आने वाला उनके लिए हलवा और खाने-पीने की अन्य चीजें लेकर आएगा। खाने-पीने का सामान लेकर चांद बाग की बस पकड़ी। रास्ते में ही था जब मुझे मालूम हुआ कि मेरे घर के की तरफ दंगा हो रहा है। इस कारण पांचवें पुश्ते पर ही उतर गया।’
‘खजूरी में दंगे हो रहे थे तो मैंने भजनपुरा मार्केट की तरफ से वापस लौटने की सोची। वहां पहुंचा तो दोनों ओर से तेज पत्थरबाजी हो रही थी। मुझे सड़क के दूसरी तरफ अपने घर जाना था तो मैं वहां बने अंडर-पास की तरफ जाने लगा। तभी कुछ लोगों ने मुझे रोका और दूसरी तरफ से जाने को कहा। ये लोग पत्थरबाजी में शामिल नहीं थे, इसलिए उनकी बात पर भरोसा कर लिया। मुझे लगा कि वे मेरी सुरक्षा के लिए दूसरी ओर से जाने को बोल रहे हैं। नहीं पता था कि मुझे दंगाइयों की तरफ भेज रहे हैं। मैं जैसे ही दूसरी तरफ पहुंचा, कई लोगों ने मुझे घेर लिया और मारो-मारो कहने लगे। इज्तिमा से लौट रहा था लिहाज़ा मजहबी लिबास में था। उन्होंने दूर से मुझे पहचान लिया। शुरुआत में मैंने उनसे कहा भी कि भाई मेरा कसूर तो बता दो, लेकिन वहां कोई सुनने को तैयार नहीं था। उन्हीं में से किसी ने पहले मेरे सिर पर लोहे की रॉड मारी और उसके बाद तो पता नहीं कितने ही लोग लाठी-डंडों और सरियों से मुझे मारने लगे। भीड़ में एक आदमी बाकियों को रोक भी रहा था और मुझे वहां से जाने देने की बात कह रहा था। लेकिन वो भी शायद अकेला था।’
जुबैर अपनी तस्वीरों के बारे में कहते हैं- ‘मुझे नहीं पता था कि मेरी तस्वीरें वायरल हुई हैं। मैं उन तस्वीरों को देख पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूं।’ इस हिंसा के बारे में जुबैर कहते हैं, ‘किस्मत ने मेरा साथ दिया कि मैं जिंदा हूं। कई लोग इस हिंसा में जान से हाथ धो बैठे हैं। हर समुदाय में अच्छे-बुरे, दोनों तरह के लोग हैं। लोग वो भी थे, जिन्होंने मुझे जानबूझकर दंगाइयों का शिकार होने भेज दिया था और वो भी थे जिन्होंने मुझे अस्पताल पहुंचा दिया। मैं दोनों में से किसी को नहीं जानता। बस इतना जानता हूं कि एक ने मेरी जान लेनी चाही तो दूसरे ने जान बचा ली।’