मथुरा। महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्य उत्सव शनिवार को मनाया गया। श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति के तत्वावधान में महाप्रभु वल्लभाचार्य का पूजन अर्चन किया गया।
सुबह महाप्रभु की चित्राम छवि का वैदिक रीति से पूजन-अर्चन किया। तत्पश्चात उनके द्वारा रचित मधुराष्टकम का पाठ किया गया। समिति संस्थापक पंडित अमित भारद्वाज ने कहा कि महाप्रभु वल्लभाचार्य अग्नि का अवतार माने गए। वल्लभाचार्य के जीवन में 84 के अंक का अजब संयोग है। इन्होंने अल्पायु में ही 84 ग्रंथों की रचना की। 84 स्थानों पर पदयात्रा कर श्रीमद्भागवत का जनकल्याण हेतु परायण किया, जो इनकी 84 बैठकों के नाम से जानी जाती हैं। ब्रज 84 यात्रा का श्रेय भी इन्ही को जाता है। अध्यक्ष पं. शशांक पाठक ने कहा कि वल्लभाचार्य का प्रभु श्रीनाथ जी से साक्षात्कार हुआ। हर्षवर्धन शास्त्री, सौरभ शास्त्री उपस्थित थे।
बृज 84 कोस परिक्रमा के जनक, महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्य उत्सव मनाया
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