Friday, March 29, 2024
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जीएलए से करें बीटेक बायोटेक, प्रवेश शुरू, जीएलए विश्वविद्यालय में बीटेक बायोटेक कोर्स की शुरूआत

मथुरा। कोविड 19 एक वैश्विक महामारी के चलते नई दवाएं या रोग प्रतिरोधक टीके बनाने का मामला हो अथवा बाजार में उपलब्ध दवाओं की गुणवत्ता में सुधार हेतु आज बायोटेक्नोलाॅजी एक महती जरूरत है। इस क्षेत्र में छात्रों के कॅरियर को संवारने एवं निखारने के लिए जीएलए विश्वविद्यालय, मथुरा ने बीटेक बायोटेक्नोलाॅजी कोर्स शुरू किया है। पीसीएम और पीसीबी से इण्टर पास छात्रों के लिए इस कोर्स में प्रवेष प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसमें प्रवेश के लिए छात्रों का अत्यधिक रूझान देखने को मिल रहा है।
विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग में गतवर्षों से चली आ रही विद्यार्थियों की मांग पर बीटेक बायोटेक्नोलाॅजी का शुभारंभ वर्तमान सत्र 2020-21 में किया गया है। बायोलाॅजी अथवा गणित विषय से इण्टर पास छात्र इस कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। प्रवेश लेने के लिए छात्रों को घर बैठे ही आॅनलाइन प्रक्रिया अपनाते हुए विश्वविद्यालय की वेबसाइट जीएलए डाॅट एसी डाॅट इन पर पहुंचना होगा।
बायोटेक विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शूरवीर सिंह ने बीटेक बायोटेक करने के बाद छात्रों को रोजगार के अवसरों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कोविड़ 19 महामारी जैसी बीमारियों के परिपेक्ष में आने वाले वर्शों में वैक्सीन उत्पादन एवं अन्य प्रतिरोधक औशधियों के विकास में बायोटेक इंजीनियरिंग की मांग में अत्यधिक वृद्धि होगी। भविष्य में औषधियों की मांग तथा बाजार में अनुसंधान एवं उत्पादन में रोजगार की अपार संभावनाओं को देखते हुए विश्वविद्यालय के सीईओ श्री नीरज अग्रवाल द्वारा उठाया गया यह कदम ब्रज व देश में शिक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा।
डाॅ. सिंह ने बताया कि प्रतिरोधक औषधियों, वैक्सीन, न्यूट्रासुटिकल, डायग्नोस्टिक किट आदि के विकास में सम्पूर्ण उत्पादन हेतु जैव प्रौद्योगिकी का ज्ञान अतिआवश्यक है। जैव प्रौद्यागिकी विभाग में वर्श 2007 से स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है। यहां से निकले हुए विद्यार्थी देश के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों में कार्यरत हैं। विभाग में पीएचडी करने हेतु अनुसंधान की उचित व्यवस्था है और अनुसंधान हेतु अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं हैं। विभाग में इस समय 42 छात्र व छात्राएं पीएचडी प्रोग्राम में अनुसंधानरत हैं।
बीटेक बायोटेक कोर्स की शुरूआत होने पर डीन एकेडमिक प्रो. अनूप कुमार गुप्ता ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि देश में बायोटेक्नोलाॅजी की सैकड़ों कंपनियां हैं। इसके अलावा देशी व विदेशी संस्थाओं में भी छात्रों के लिए नौकरी के अवसर उपलब्ध हैं। देश की अधिकतर आबादी के जीवनयापन का जरिया कृशि है, लेकिन घटती पैदावार के चलते खाद्य सुरक्षा के लिए गहरा संकट है। बायोटेक्नोलाॅजी के बेहतर इस्तेमाल से पषु एवं फसलों के उत्पादन तथा पशु एवं मनुष्यों के रोगों पर विजय पाने से लेकर मनुष्यांे के स्वास्थ्य में अभूतपूर्व सुधार हो सकते हैं। हेल्थकेयर, एनवायरनमेंट, इंडस्ट्रियल प्रोसेसिंग, फूड एवं फार्मा इंडस्ट्री आदि में भी जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से काफी तेजी से बदलाव व विकास की ओर देश अग्रसरित है।

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