Saturday, May 4, 2024
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के.डी. हास्पिटल में लोगों को मिल रहा है लाभ

मथुरा। वैश्विक महामारी के उपचार में प्लाज्मा थेरेपी को चिकित्सा जगत में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन दिनों प्लाज्मा थेरेपी पर अनुसंधान भी चल रहे हैं ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि इससे कोरोना वायरस का इलाज सम्भव है अथवा नहीं। चिकित्सा जगत में प्लाज्मा थेरेपी काफी लम्बे समय से चलन में है इसकी मुख्य वजह कम समय में शीघ्र लाभ मिलना है। के.डी. मेडिकल कालेज-हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर में भी लोगों को प्लाज्मा थेरेपी का उपचार मुहैया कराया जा रहा है।
के.डी. मेडिकल कालेज-हास्पिटल एण्ड रिसर्च सेण्टर के प्लाज्मा थेरेपी विभाग की विभागाध्यक्ष डा. अंजली माथुर बताती हैं कि आर.के. एज्यूकेशन हब के अध्यक्ष डा. रामकिशोर अग्रवाल की दूरदर्शिता के चलते के.डी. हास्पिटल में आधुनिकतम चिकित्सकीय सुविधाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। ब्रजवासियों को प्लाज्मा थेरेपी की सुविधा भी डा. अग्रवाल के प्रयासों का ही सुफल है। डा. माथुर बताती हैं कि प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लास्माफेरेसिस नाम से जाना जाता है। प्लाज्मा थेरेपी से तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है, जिसमें खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं से अलग किया जाता है। इसके बाद यदि किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्थी टिशू मिलते हैं, तो उसका इलाज समय रहते शुरू कर दिया जाता है।
डा. अंजली माथुर कहती हैं कि प्लास्माफेरेसिस आधुनिक मेडिकल साइंस की देन है, जिसने काफी सारे लोगों की जिन्दगी को बदल दिया है। राहत की बात है कि इसे सामान्य स्थितियों में नहीं बल्कि इसे कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
डा. अंजली बताती हैं कि प्लाज्मा थेरेपी को मुख्य रूप से संक्रमण का पता लगाने के लिए किया जाता है। चूंकि, काफी सारी बीमारियां संक्रमण के द्वारा होती हैं, इसलिए ऐसी बीमारियों का इलाज करने में प्लाज्मा थेरेपी काफी कारगर साबित होती है। डा. माथुर का कहना है कि वर्तमान समय में काफी सारे ट्रांसप्लांट किए जाते हैं, मगर कई बार ये असफल साबित हो जाते हैं। जब ट्रांसप्लांट कराने वाले लोगों के लिए डोनर पार्ट सही तरीके से काम नहीं करता है, तब उन्हें प्लाज्मा थेरेपी सहायता करती है। इनका कहना है कि कई बार खेल में चोट का इलाज करने के लिए भी प्लास्माफेरेसिस का सहारा लिया जाता है। प्लाज्मा थेरेपी स्पोर्ट्स इंजरी को ठीक करने में भी सहायक है। डा. अंजली कहती हैं कि जब कोई व्यक्ति मायस्थीनिया ग्रोविस से पीड़ित होता है, तो उसका इलाज करने में भी प्लाज्मा थेरेपी की सहायता ली जाती है। मायस्थीनिया ग्रोविस से तात्पर्य ऐसी मानसिक बीमारी है, जिसमें लोगों की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
डा. अंजली के मुताबिक प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल गुलियन बेरी सिंड्रोम का इलाज करने में भी किया जाता है। गुलियन बेरी सिंड्रोम रोग-प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करने की बीमारी है, जिसका असर लोगों की सेहत पर पड़ता है और उनके बीमार होने की सम्भावना काफी अधिक बढ़ जाती है। डा. अंजली का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी के कई सारे लाभ हैं, जिनमें रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना, चेहरे और बालों इत्यादि से जुड़ी समस्याओं का समाधान आदि शामिल हैं। डा. माथुर बताती हैं कि जहां एक ओर कुछ सर्जरी में काफी समय लगता है, वहीं प्लाज्मा थेरेपी में काफी कम समय लगता है। इसकी वजह से लोगों को इस थेरेपी को कराने में समय की बर्बादी नहीं होती तथा दर्द भी महसूस नहीं होता। प्लाज्मा थेरेपी का अन्य लाभ इसका जल्दी रिजल्ट आना भी है।

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