गोपाल जग्गा की रिपोर्ट
मथुरा। देश और दुनिया को ‘अंत्योदय’ की सीख देने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सपना उनके पैतृक गांव नगला चंद्रभान में सच होता दिख रहा है। गांव में स्थित पं. दीनदयाल धाम निर्धनों को उत्थान की राह दिखा रहा है। एक दर्जन से अधिक सेवा प्रकल्पों का संचालन कर रही संस्कारशालाएं सैकड़ों हाथों को काम मिल रहा है।
नगला चंद्रभान गांव के 35 वर्षीय संतोष रावत दोनों पैरों से दिव्यांग हैं। काम करने में अक्षम संतोष को 20 वर्ष पहले किसी ने दीनदयाल धाम के सिलाई प्रशिक्षण केंद्र की राह दिखा दी। उन्होंने सिलाई सीखी और मास्टर बन अब दूसरों को हुनरमंद बना रहे हैं। उनके छोटा भाई संजय भी सिलाई का मास्टर है। संतोष 20 हजार रुपये प्रतिमाह कमाकर परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। साधन, स्वास्थ्य और सेहत। साधन के लिए ग्रामीणों को हुनर सिखा आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। दीनदयाल धाम से प्रशिक्षित 35 सौ लोग सिलाई के काम से जुड़े हैं। इस काम से यह प्रत्येक माह 15 से 20 हजार रुपये कमा लेते हैं। दीनदयाल धाम में बना कुर्ता देशभर में लोगों को भा रहे हैं। आरएसएस कैडर में यह दीनदयाल कुर्ता के नाम से फेमस है। दीनदयाल धाम सिलाई केंद्र के पंडित कमल कोशिक ने निर्माण कराया जिससे कि महिलाएं सिलाई करके घर वैठे रोजगार मिल रहा है।