- स्वदेशी मिसाइलों को तैयार करने में जुटा डीआरडीओ
- एक बैटरी के जरिए 171 किलोमीटर एरिया को हो सकता है पूरी तरह ध्वस्त
ओडिशा। भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव के दौरान भारतीय सेना को एक ओर बेहतरीन ताकत मिली है। भारतीय डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) को एक बड़ी सफलता मिली है। डीआरडीओ ने ओडिशा के चांदीपुर में स्वदेशी तकनीक से निर्मित पिनाका एमके- रॉकेट गाइडेड रॉकेट लांच सिस्टम के अपग्रेड संस्करण का सफल परीक्षण किया है। परीक्षण के लिए तय किये गये सभी मानक सफलतापूर्वक हासिल किए गये हैं। इस परीक्षण के बाद भारतीय सेना की जमीन से हवा में मार करने वाली मारक क्षमता कई गुना बढ गई है।

इस टेस्ट में 6 रॉकेट को एक सीरीज में लॉन्च किया गया। सभी रॉकेट लक्ष्य तक पहुंचने में सफल रहे। परीक्षण के दौरान ओडिशा के चांदीपुर के रक्षा क्षेत्र में रडार इलेक्ट्रो ऑप्टिकल सिस्टम व टेलीमेट्री सिस्टम ने राकेट के पूरे मार्ग की निगरानी की। इस मौके पर रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन तथा अंतरिम परीक्षण परिसर (आईटीआर) से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिक मौजूद थे।
पिनाका रॉकेट का उन्नत संस्करण मौजूदा पिनाका एमके- क रॉकेटों की जगह लेगा, जो फिलहाल प्रोडक्शन में है। जानकारी के मुताबिक पहले के पिनाका में दिशानिर्देशन प्रणाली नहीं थी, लेकिन अब अपग्रेड कर दिशानिर्देशन प्रणाली से लैस किया गया है। इसे हैदराबाद रिसर्च सेंटर (आरसीआई) ने नौवहन, दिशानिर्देशन एवं नियंत्रण किट विकसित किया था। आरसीआई रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अंतर्गत आता है।

डीआरडीओ के सूत्र के अनुसार इस बदलाव से पिनाका की मारक क्षमता और सटीकता बढ़ गयी है। टाटा ट्रक पर स्थापित किये गये पिनाका वैपन सिस्टम के अपग्रेड संस्करण में विशिष्ट गाइडेंस किट लगाई गई है, जो एडवांस नेविगेशन और कंट्रोल सिस्टम से लैस है। इसका नेविगेशन इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) के जरिये किया जाता है। पिनाक मूल रूप से मल्टी -बैरल रॉकेट सिस्टम है। इससे सिर्फ 44 सेकेंड्स में 12 रॉकेट दागे जा सकते हैं। पिनाक सिस्टम की एक बैटरी में छह लॉन्चट वेहिकल होते हैं, साथ ही लोडर सिस्टम, रडार और लिंक विद नेटवर्क सिस्टंम और एक कमांड पोस्ट होती है।

एक बैटरी के जरिए 171 किलोमीटर एरिया को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सकता है। मार्क-क की रेंज करीब 40 किलोमीटर है जबकि मार्क-क से 75 किलोमीटर दूर तक निशाना साधा जा सकता है। हाल ही में डीआरडीओ प्रमुख ने कहा था कि संस्थान सेना के लिए स्वदेशी मिसाइलों को तैयार करने में जुटा हुआ है, ताकि मिसाइल क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।