Tuesday, May 21, 2024
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इस बार दिवाली पर 131 साल बाद बन रहा दुर्लभ योग

पंच महोत्सव के तहत गुरुवार से शुरू हुआ दीपोत्सव शनिवार को अपने चरम पर है। दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा पर कई दुर्लभ योग बन रहे हैं। दिवाली पर गुरु सिंह राशि में रहेगा एवं राहु कन्या राशि में रहेगा। 131 साल पहले 1889 में यह योग बना था। ज्योतिषाचार्य आचार्य कमलेश पाण्डेय ने बताया कि इस योग में की गई लक्ष्मी पूजा सुख-समृद्धि, धन-वैभव दिलाएगी।

शनिवार को दिवाली पर तीन ग्रहों का दुर्लभ योग गुरु अपनी स्वराशि धनु और शनि अपनी स्वराशि मकर में रहेगा। जबकि शुक्र कन्या राशि में रहेगा। यह संयोग 499 साल पहले 1521 में बना था। यह योग सुख-समृद्धि और सफलता दिलाने वाले हैं। इतना ही नहीं दिवाली पर बन रहे शुक्र के मालव्य योग में शुरू किए गए काम ऐश्वर्य, धन और सुख प्रदान करते हैं।

ऐसे करें पूजन

ज्योतिषाचार्य आचार्य कमलेश पाण्डेय ने बताया कि चौकी रखकर उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं, गंगाजल छिड़क कर उस स्थान को पवित्र करें। इसके बाद वहां लक्ष्मी-गणेश भगवान की मूर्ति स्थापित करें। उन्हें नए वस्त्र, अलंकार, आभूषण, पुष्प माला, जनेऊ धारण कराएं। चंदन एवं अक्षत से तिलक अवश्य करें। पांच फल, पांच मेवे, पांच प्रकार की मिठाइयां, खील बतासे, चीनी के खिलौनों का भोग लगाएं। गणेशजी को दूर्वा, गणेली अर्पित करें।

घरों में पूजन का मुहूर्त : शाम 5:54 से 7:50 बजे तक

सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनी।
मंत्रपूते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते॥

भावार्थ : सिद्धि बुद्धि और मोक्ष देने वाली हे भगवती महालक्ष्मी! आपको सदैव प्रणाम।

मान्यता

त्रेता युग में भगवान राम जब लंकापति रावण का वध कर अयोध्या लौटे तो उनके आगमन पर दीप जलाकर उनका स्वागत किया गया था और खुशियां मनाई गई थीं। इसी कारण प्रति वर्ष इस तिथि (कार्तिक अवामस्या) को दिवाली मनाई जाती है।

सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद।
चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद॥

भावार्थ : आनंदकन श्रीरामजी अपने महल को चले, आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया, नगर के स्त्री-पुरुषों के समूह अटारियों पर चढ़कर उनके दर्शन कर रहे हैं।

रविवार को गोवर्धन पूजा

पूजन का मुहूर्त : शाम 5:50 से 9:46 बजे तक

मान्यता

द्वापर युग में इंद्र के कोप से ब्रजवासियों को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत को उठाए रखा। आठवें दिन भगवान ने कहा कि अब से हर वर्ष इसी दिन गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया जाए।

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