मथुरा। शहर के मसानी नाले का दूषित पानी, सिल्ट और कचरा सीधे पतितपावनी यमुना में गिर रहा है। अफसरों की अनदेखी के कारण जहां एक तरफ यमुना नदी प्रदूषित हो रही है। वहीं हाईकोर्ट के आदेश और प्रदेश सरकार के दावे हवाई साबित हो रहे हैं। काबिलेगौर बात यह है कि यमुना प्रदूषण की पैरवी करने वाले हिन्दूवादी भी लंबे समय से चुप्पी साधे है।
केन्द्र सरकार द्वारा प्रदूषित यमुना नदी को स्वच्छ करने के लिए नमामि गंगे योजना के तहत करोड़ों रुपए मथुरा जनपद में लगाए खर्च किए जा रहे है। जलनिगम निगम द्वारा मथुरा और वृंदावन के कुछ नाले टैप किए गए। इसके बावजूद यमुना की दशा जस की तस बनी है। मथुरा में प्रदेश की योगी सरकार द्वारा गत माह किए गए दावे कि यमुना में एक बूंद दूषित जल नहीं जाएगा हवाई साबित हो रहे हैं। वहीं करीब दो दशक पहले हाईकोर्ट द्वारा यमुना प्रदूषण दूर करने के लिए दिए गए आदेशों को भी दरकिनार किया जा रहा है। काबिलेगौर बात यह है कि मथुरा और वृंदावन में यमुना प्रदूषण मुक्ति को लेकर आवाज उठाने वाले और न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले हिन्दूवादी नेताओें ने चुप्पी साध ली है।
ज्ञात हो कि पिछले कई दिनों से मसानी नाले का दूषित पानी और गंदगी सीधे यमुना में जा रही थी। नियो न्यूज ने जब इस मामले को दर्शकों और पाठकों के समक्ष रखा तो नगर निगम जागा और रोकथाम के प्रयास किए गए। लेकिन नगर निगम द्वारा रोकथाम के ठोस इंतजामात नहीं किए गए और नाला का दूषित पानी और गंदगी फिर से करोड़ों भक्तों की आस्था का केन्द्र यमुना में गिर रही है।
क्या कहते है अधिकारी
मथुरा-वृंदावन नगर निगम के अपर नगरा आयुक्त सत्येन्द्र कुमार तिवारी का कहना है कि नालों की टैपिंग और यमुना में नाले का दूषित पानी न जाए इसके लिए जलनिगम जिम्मेदार है, नगर निगम नहीं। इसे लेकर जलनिगम कार्य कर रहा है।
जलनिगम के एई के पी सिंह का कहना है कि नगर जलनिगम नमामि गंगे योजना के तहत मथुरा में चल रहा है। 6.8 एमएलडी का एसटीपी निर्माणाधीन है। कार्य चल रहा है। इसके बाद ही मसानी नाला टैप होगा। जलनिगम के कार्य की निर्धारित समय सीमा 31 मार्च तक है। जब तक मसानी नाले का दूषित यमुना में जाएगा।