Thursday, May 2, 2024
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पांच मिनट की डाक्यूमेंट्री में दिखेगी 156 वर्ष पुराने यमुना पुल की कहानी

प्रयागराज। दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग पर यमुना पर प्रयागराज को नैनी से जोड़ने वाले 156 वर्ष पुराने रेल ब्रिज की पूरी कहानी महज पांच मिनट की डाक्यूमेंट्री में संजोई गई है। उत्तर मध्य रेलवे द्वारा इस डाक्यूमेंट्री को अभी हाल ही में तैयार किया गया है। अब जीएम एनसीआर वीके त्रिपाठी द्वारा इसका जल्द ही उद्घाटन किया जाएगा।

नैनी रेल ब्रिज की पहचान पुल संख्या-30 के रूप में भी है। 15 अगस्त वर्ष 1865 को अपने जन्म के बाद से यह पुल भारतीय रेल के दिल्ली से हावड़ा और मुंबई से हावड़ा को जोड़ने का कार्य कर रहा है। बता दें कि वर्ष 1859 में प्रयागराज-कानपुर के मध्य पहली ट्रेन के संचालन के साथ उत्तर भारत में रेल यात्रा प्रारंभ हुई थी।
रेलव के माध्यम से प्रयागराज से पूर्वी भारत का जुड़ाव नैनी ब्रिज के निर्माण के बाद ही संभव हो सका। नैनी-प्रयागराज में स्थित ब्रिज भारतीय रेल की बेहतर इंजीनियरिंग का एक जीता जागता उदाहरण है।


रेलवे द्वारा बनाई गई डाक्यूमेंट्री में नैनी रेल ब्रिज के अब तक के सफर के बारे में बताया गया है। इसमें बताया गया है कि ब्रिटिश काल में 44 लाख 46 हजार 300 रुपये की लागत से इसे बनाया गया। 1855 में इस पुल को बनाए जाने की तैयारी शुरू हुई। 1859 में पुल बनाने का कार्य शुरू हुआ। इस पुल को बनाने में तकरीबन 6 वर्ष का वक्त लगा। ब्रिटिश इंजीनियर मिस्टर सिवले की देखरेख में बने इस पुल में रेल आवागमन 15 अगस्त 1865 में शुरू हुआ। 3150 फीट लंबे इस पुल पर 14 लाख, 63 हजार, 300 रुपये के लोहे के ठोस गार्डर लगाए गए हैं। निर्माण के समय इस पर सिर्फ एक लेन ही थी। वर्ष 1913 में इसका दोहरीकरण किया गया फिर इसकी इसी रीगर्डरिंग 1929 में हुई।

नैनी ब्रिज के एक पिलर की डिजाइन एलीफैंट फुट मार्का (हाथी पांव या जूता मार्का) जैसी है। इस पुल में 61 मीटर ट्राईंगुलेटेड गर्डरों के 14 स्पैन, 12.98 मीटर के 2 स्पैन एवं 9.18 मीटर का 01 आर्च स्पैन है। इस पुल से प्रति दिन लगभग 200 ट्रेनें गुजरती हैं। इस पुल का हर पांच वर्ष में तकनीकी निरीक्षण किया जाता है। हर चार वर्ष पर इसकी ऑयलिंग-ग्रीसिंग एवं पेंटिंग की जाती है।


इस पुल में स्वचालित सेंसर लगे हैं, जो संबंधित अधिकारियों को दिन में दो बार जलस्तर की जानकारी भेजते हैं, जिससे कि बाढ़ जैसे खतरे का पूर्वानुमान लगाया जा सके। नैनी ब्रिज के ट्रैक का बेहतर रखरखाव करने के लिये एक जेई, एक मेठ और 15 कर्मियों की एक टीम का गठन किया गया है।

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