Saturday, May 4, 2024
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नरेन्द्र मोदी और पार्टी के खिलाफ बागी तेवर वरुण गांधी को पड़े भारी, ऐसे हुआ नेता का अज्ञातवास

नई दिल्ली। मोदी सरकार में मंत्री मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी ने अपनी राजनीति की शुरुआत ताई सोनिया गांधी के खिलाफ की थी। मेनका गांधी ने इंदिया के रहते हुए ही घर छोड़ दिया था। बाद में उन्होंने भाजपा के साथ राजनीति में कदम रखा। भाजपा को भी सोनिया की काट के लिए कोई नेता चाहिए थी और ऐसे में परिवार की बहू से बेहतर कौन हो सकता था? मेनका गांधी के बाद उनके बेटे वरुण गांधी ने भी राजनीति में एंट्री की और देखते ही देखते भाजपा के बड़े नेताओं में शामिल हो गए।


वरुण गांधी को लेकर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं। शायद अब वरुण और भाजपा के बीच की खाई गहरी भी नजर आती है। वरुण काफी बेबाकी से अपनी बात रखते हैं। साल 2014 में वरुण गांधी को भाजपा महासचिव और पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया गया था। यहां नरेन्द्र मोदी की एक विशाल रैली हुई थी। पार्टी नेताओं ने इस रैली में दो लाख लोगों के आने का दावा किया था। लेकिन वरुण ने पार्टी लाइन से अलग बयान दिया था।


नरेन्द्र मोदी के रैली के बाद वरुण गांधी ने कहा था कि यह ठीक ठाक था… वहां 40 से 50 हजार के करीब लोग थे। आप लोगों को गलत आंकड़े लि रहे हैं। यह सच नहीं है कि दो लाख लोग पहुंचे थे। भीड़ तो सिर्फ 40- 50 लोगों की थी। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजप को ऐतिहासिक बहुमत मिला और प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नरेन्द्र मोदी बैठे7 इसके बाद मेनका गांधी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया, लेकिन वरुण को बागी तेवर दिखाने का अंजाम भुगतना पड़ा।

चुनाव के बाद अमित शाह को भाजपा अध्यक्ष बना दिया गया। पार्टी में परिवार के एक सदस्य को एक पद को हवाला देते हुए वरुण गांधी को भाजपा महासचिव के पद से हटा दिया गया। इसके बाद वरुण और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच दूरी बढ़ती चली गई। सत्याग्रह की रिपोर्ट के मुताबिक, वरुण को अमित शाह के करीबी नेता घमंडी और महत्वाकांक्षी भी मानते हैं। यही वजह है कि वह अमित शाह की फेवरेट लिस्ट में फिर नहीं बैठते।


इसके अलावा वरुण गांधी के नाम भी ‘गांधी’ है। लेकिन नेता इसके खिलाफ खुलकर बोलते हैं। पार्टी में वरुण गांधी को बड़ा पद देने से पार्टी को दिक्कत का भी सामना करना पड़ रहा था। यही वजह रही कि वरुण लगातार पार्टी से दूर होते गए और 2019 के चुनाव के बाद तो मेनका और वरुण दोनों में से किसी को भी मोदी मंत्रीमंडल में जगह नहीं दी गई। कयास लगाए जा रहे थे कि हाल ही में हुए मंत्रिमंडल विस्तार में वरुण गांधी अच्छा पद पा सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

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